________________ सुरनररिद्धी निय किंकरि व्व, गेहंगणम्मि कप्पतरू / सिद्धिसुहं पि च करयल-गयं व वरसीलकलियाणं // 66 // : सीया-देवसियाणं, विसुद्धवरसीलरयणकलियाणं / भुवणच्छरियं चरियं, समए लोए वि य पसिद्धं // 67 // विसयाउरे बहुसो, सीलं मणसा वि मइलियं जेहिं। . ते नरयदुहं दुसहं, सहति जह मणिरहो गया . // 68 // चिंतामणिणा किं तस्स, किं च कप्पडुमाइ वत्थूहि। चिंताइयफलकरं, सीलं जस्सस्थि साहीणं ' // 69 // इय निज्जियकप्पद्रुम-चिंतामणिकामधेणुमाहप्पं / धन्नाण होइ सीलं, विसेसओ संजुअं तवसा // 70 // समयपसिद्धं च तवं, बाहिरमभिंतरं च बारसहा / नाऊण जहा विरियं, कायव्वं तो सुहत्थीहिं // 71 // जं आमोसहि विप्पो-सही अ सभिन्नसोअपमुहाओ। लद्धीओ हुंति तवसा, सुदुल्लहा सुरवराणं पि // 72 // सुरसुंदरिकरचालिय-चमरुप्पीलो सुहाइं सुरलोए। जं भुंजइ सुरनाहो, कुसुममिणं जाण तवतरुणो // 73 // जं भरहमाइणो चक्किणो वि, विप्फुरियनिम्मलपयावा / भुंजंति भरहवासं, तं जाण तवप्पभावेणं // 74 // पायाले सुरलोए, नरलोए वा वि नत्थि तं कज्जं / जीवाण जं न सिज्झइ, तवेण विहिणाणुचिन्नेणं // 75 // विसमं पि समं सभयं पि निब्भयं दुज्जणा वि सुयणुव्व। .. सुचरिअतवस्स मुणिणो, जायइ जलणो वि जलनिवहो // 76 // तवसुसियमंसरुहिरो, अंतोविप्फुरियगरुअमाहप्पा। सलहिज्जंति सुरेहिं वि, जे मुणिणो ताण पणओहं // 77 // પર