________________ बज्झेण अणिच्चेण य, धणेण जइ होइ पत्तनिहिएणं / निच्चंतरंगरूवो, धम्मो ता किं न पज्जत्तं // 54 // दारिदं दोहग्गं, दासत्तं दीणया सरोगत्तं / / परपरिभवसहणं चिय, अदिन्नदाणाणवत्थाओ // 55 // ववसायफलं विहवो, विहवस्स फलं सुपत्तविणिओगो। तयभावे विवसाओ, विभवो विय दुग्गइनिमित्तो पायं अदिन्नपुव्वं, दाणं सुरतिरियनारयभवेसु / मणुयत्ते वि न दिज्जा, जइ तं तो तं पि न णु विहलं // 57 // उन्नयविहवो वि कुलुग्गओ वि समलंकिओ वि रूवी वि / पुरिसो न सोहइ च्चिय, दाणेण विणा गईंदुव्व // 58 // लद्धो वि गरूयविहवो, सुपत्तखित्तेसु जेहिं न निहित्तो / ते महुराउरिवणिउ व्व, भायणं हुंति सोयस्स // 59 // इय इक्कं चिय दाणं, भणियं नीसेसगुणगणनिहाणं / जइ पुण सीलं पि हविज्ज, तत्थ ता मुद्दियं भवणं // 60 // जं देवाण वि पुज्जो, भिक्खानिरओ वि सीलसंपुनो। पुहविवई वि कुसीलो, परिहरणिज्जो बुहजणस्स // 61 // कस्स न सलाणिज्जं, मरणं पि विसुद्धसीलरयणस्स / कस्स व न गरहणिज्जा, विअलिअसीला जिअंता वि // 62 // जे सयल पुहई भारं, वहंति विसहंति पहरणप्पीलं / न णु सीलभरुव्वहणे, ते विहु सीयंति कासरु व्व // 63 // रइरिद्धिबुद्धिगुणसुंदरीण, तहसीलरक्खणपयत्तं / सोऊण विम्हियकरं, को मइलइ सीलवररयणं // 64 // जलही वि गोपयं चिय, अंग्गी वि जलं विसं पि अमयसमं / सीलसहायाण सुरा वि, किंकरा हुंति भुवणम्मि // 65 // 51