________________ // 30 // // 31 // // 32 // // 33 // // 34 // // 35 // जं पिच्छह अच्छेरं, तह सीयलमओनएण वि कमेण / उदएण गिरी भिन्नो, थोवं थोवं वहंतेणं सूइ जहा ससुत्ता, न नस्सई कयवरम्मि पडिया वि। जीवो वि तह ससुत्तो, न नस्सई गओ वि संसारे सुइ वि जह असुत्ता, नासइ रेणम्मि निवडिया लोए / तह जीवो वि असुत्तो, नासइ पडिओ भवरयम्मि जह आगमपरिहीणो, विज्जो वाहिस्स न मुणइ तिगिच्छं। तह आगमपरिहीणो, चरित्तसोहिं न याणेइ किं इत्तो लट्ठयरं, अच्छेरतरं व सुंदरतरं वा / चंदमिव सव्वलोगा, बहुरसुयमुहं पलोयंति छट्टट्ठमदसमदुवालसेहिं, अबहुस्सुयस्स जा सोही। इत्तो य अणेगगुणा, सोही जिमिअस्स नाणिस्स नाणेण सव्वभावा, नज्जंती सुहुमबायरा लोए / तम्हा नाणं कुसलेण, सिक्खियव्वं पयत्तेण नाणमकारणबंधू, नाणं मोहंधयारंदिणबंधू / नाणं संसारसमुद्द-तारणे बंधुरं जाणं वसणसयसल्लियाणं, नाणं आसासयं सुमित्तु व्व / सागरचंदस्स व होइ, कारणं सिवसुहाणं च पावाओ विणियत्ती, पवत्तणा तह य कुसलपक्खम्मि। विणयस्स य पडिवत्ती, तिन्नि वि नाणे समुप्पंति गंगाइ वालुअं जो मिणिज्ज उल्लिंचिऊण य समत्थो / हत्थउडेहि समुदं, सो नाणगुणे भणिज्जाहि आहार वसहि वत्था, एएहिं नाणीण वग्गहं कुज्जा। जं भवगयाण नाणं, देहेण विणा न संभवइ - 40 // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 //