________________ / 18 // // 19 // // 20 // // 21 // // 22 // // 23 // इत्थं पुण अहिगारो, सुयनाणेणं जओ.सुएणं तु / सेसाणमप्पणो वि य, अणुओग पईवदिटुंतो इक्कम्मि वि मुक्खपयम्मि, होइ जो इत्थ निच्चमाउत्तो। तं तस्स होइ नाणं, छिदइ सो तेण दुहजालं - संविग्गो गीयत्थो, मज्झत्थो देसकालभावन्नू / नाणस्स होइ दाया, जो सुद्ध परूवगो साहू ओसन्नो वि विहारे, कम्मं सोहेइ सुलभबोही य। चरणकरणं विसुद्धं, उवबूहंतो परवंतो अक्खलिय मिलियाइ गुणे, कालग्गहणाई उ विही सुत्ते / मज्जण निसिज्ज अक्खा, इच्चाइ कमो तयत्थम्मि निद्दा विगहा परिवज्जिएहिं गुत्तेहिं पंजलिउडेहिं। भत्तिबहुमाणपुव्वं, उवउत्तेहिं सुणेयव्वं ___.. अभिकंखं तेहिं सुहासिआई, वयणाई अत्थसाराई। विम्हियमुहेहिं हरिसा, गएहिं हरिसं जणंतेहिं. गुरुपरितोसगएणं, गुरुभत्तीए तहेव विणएणं / इच्छिय सुत्तत्थाणं, खिप्पं पारं समुवयंति समय भणिएण विहिणा, सुत्तं अत्थो अ दिज्ज जुग्गस्स / विज्जासाहगनाएण, हुंति इयरा बहुदोसा। आमे घडे निहित्तं, जहा जलं तं घडं विणासेइ।। इय सिद्धंतरहस्सं, अप्पाहारं विणासेइ मेहा हुज्ज न हुज्ज व, लोए जीवाण कम्मवसगाणं / . उज्जोओ पुण तह विहु, नाणम्मि सया न मोतव्वो जइ वि हु दिवसेण पयं, धरेइ पक्खेण वा सिलोगद्धं / उज्जोयं मा मुंचसु, जइ इच्छसि सिक्खिउं नाणं 48 // 24 // // 25 // // 26 // // 27 // // 28 // // 29 //