________________ // 540 // // 541 // इय धम्मदासगणिणा जिणवयणुवएसकज्जमालाए / मालव्व विविहकुसुमा, कहिआ य सुसीसवग्गस्स संतिकरी वुड्ढिकरी, कल्लाणकरी सुमंगलकरी य / होइ कहगस्स परिसाए, तह य निव्वाणफलदाई. इत्थ समप्पइ इणमो, मालाउवएसपगरणं पगयं / गाहाणं सव्वाणं; पंचसया चेव चालीसा जाव य लवणसमुद्दो, जाव य नक्खत्तमंडिओ मेरू / ताव य रइया माला, जयम्मि थिरथावरा होउ अक्खरमत्ताहीणं, जं चिय पढियं अयाणंमाणेणं / तं खमह मज्झ सव्वं, जिणवयणविणिग्गया वाणी / / 542 // // 543 // // 544 // // 1 // // 2 // पू.आ.श्रीहेमचन्द्रसूरीश्वरविरचिता . ॥पुष्पमाला // सिद्धमकम्ममविग्गह-मकलंकमसंगमक्खयं धीरं। पणमामि सुगइपच्चल, परमत्थपयासगं वीरं . जिणवयणकाणणाओ, चिणिऊण सुवन्नमसरिसगुणड्डे। उवएसमालमेयं, रएमि वरकुसुममालं व रयणायरपब्भटुं, रयणं व सुदुल्लहं मणुयजम्मं / तत्थ वि रोरस्स निहि व्व, दुल्लहो होइ जिणधम्मो तं चेव दिव्वपरिणइ-वसेण कह कह वि पाविउं पवरं। . जइयव्वं इत्थ सया, सिवसुहसंपत्तिमूलम्मि सोय अहिंसा मूलो, धम्मो जियरागदोसमोहेहिं। भणिओ जिणेहिं तम्हा, सविसेसं तीइ जइयव्वं / // 3 // // 4 // 47