________________ आमुक्कजोगिणो च्चिअ, हवइ थोवा वि तस्स जीवदया। संविग्गपक्खजयणा, तो दिट्ठा साहुवग्गस्स // 528 // किं मूसगाण अत्थेण? किं वा कागाण कणगमालाए ? / मोहमलुखवलिआणं, किं कज्जुवएसमालाए ? // 529 // चरणकरणालसाणं, अविणयबहुलाण सययऽजोगमिणं / न मणी सयसाहस्सो आबज्झइ कुच्छभासस्स // 530 // नाऊण करयलगयाऽऽमलं व सब्भावओ पहं सव्वं / धम्मम्मि नाम सीइज्जइ त्ति कम्माइं गुरुआई // 531 // धम्मत्थकाममुक्खेसु जस्स भावो जहिं जहिं रमइ / वेरग्गेगंतरसं न इमं सव्वं सुहावेइ // 532 // संजमतवालसाणं, वेरग्गकहा न होइ कण्णसुहा। संविग्गपक्खियाणं, हुज्ज व केसिंचि नाणीणं // 533 // सोऊण पगरणमिणं, धम्मे जाओ न उज्जमो जस्स। न य जणियं वेरग्गं, जाणिज्ज अणंतसंसारी . // 534 // कम्माण सुबहुआणुवसमेण उवगच्छई इमं सव्वं / कम्ममलचिक्कणाणं वच्चइ पासेण भन्नंतं // 535 // उवएसमालमेयं जो पढइ सुणइ कुणइ वा हियए। सो जाणइ अप्पहियं नाऊणं सुहं समायरई // 536 // धंत-मणि-दाम-ससि-गय-णिहिपयपढमक्खराभिहाणेणं / उवएसमालपगरणमिणमो रइअं हिअट्ठाए // 537 // जिणवयणकप्परुक्खो, अणेगसुत्तत्थसालविच्छिन्नो / तवनियमकुसुमगुच्छो, सुग्गइफलबंधणो जयइ // 538 // जुग्गा सुसाहुवेरग्गिआण परलोगपत्थिआणं च / संविग्गपक्खिआणं, दायव्वा बहुसुआणं च // 539 // 45