________________ // 516 // // 517 // // 518 // // 519 // // 520 // // 521 // वंदइ नय वंदावइ, किइकम्मं कुणइ कारवे नेय। अत्तट्ठा न वि दिक्खइ, देइ सुसाहूण बोहेउं ओसन्नो अत्तट्ठा, परमप्पाणं च हणइ दिक्खंतो। तं छुहइ दुग्गईए, अहिययरं बुड्डुइ सयं च जह सरणमुवगयाणं, जीवाण निकिंतए सिरे जो उ। एवं आयरिओ वि हु, उस्सुत्तं पनवंतो य सावज्जजोगपरिवज्जणा उ सव्वुत्तमो जईधम्मो। बीओ सावगधम्मो, तइओ संविग्गपक्खपहो सेसा मिच्छद्दिट्ठी, गिहिलिङ्ग-कुलिङ्ग-दव्वलिङ्गेहिं / . जह तिण्णि य मुक्खपहा संसारपहा तहा तिण्णि संसारसागरमिणं, परिब्भमंतेहिं सव्वजीवेहिं / गहियाणि य मुक्काणि य अंणतसो दव्वलिङ्गाई अच्चणुरत्तो जो पुण, न मुयइ बहुसो वि पनविज्जंतो। संविग्गपक्खियत्तं, करिज्ज लब्भिहिसि तेण पहं कंतार-रोहमद्धाण-ओम-गेलनमाइकज्जेसु / सव्वायरेण जयणाइ कुणइ जं साहुकरणिज्जं आयरतरसंमाणं, सुदुक्करं माणसंकडे लोए / संविग्गपक्खियत्तं, ओसनेणं फुडं काउं सारणचइआ जे गच्छनिग्गया पविहरंति पासत्था / जिणवयणबाहिरा वि य, ते उ पमाणं न कायव्वा हीणस्स वि सुद्धपरूवगस्स संविग्गपखवायस्स। . जा जा हविज्ज जयणा, सा सा से निज्जरा होइ सुक्काइयपरिसुद्धे, सइ लाभे कुणइ वाणिओ चिटुं। . एमेव य गीयत्थो, आयं दटुं समायरइ 44 // 522 // // 523 // // 524 // // 525 // // 526 // // 527 //