________________ // 340 // वज्जंतो अ विभूसं, जइज्ज इह बंभचेरगुत्तीसु / साहु तिगुत्तिगुत्तो, निहुओ दंतो पसंतो अ. // 336 // गुज्झोरुवयणकक्खोरुअंतरे तह थणंतरे दर्छ / साहरइ तओ दिढेि, न य बंधइ दिट्ठिए दिर्टि // 337 // सज्झाएण पसत्थं, झाणं जाणइ य सव्वपरमत्थं / सज्झाए वस॒तो, खणे खणे जाइ वेरग्गं // 338 // उड्डमहतिरियलोए, जोइसवेमाणिया य सिद्धी य / सव्वो लोगालोगो, सज्झायविउस्स पच्चक्खो // 339 // जो निच्चकालं तवसंजमुज्जओ न वि करेइ सज्झायं / अलसं सुहसीलजणं, न वि तं ठावेइ साहुपए विणओ सासणे मूलं, विणीओ संजओ भवे / विणयाओ विप्पमुक्कस्स, कओ धम्मो कओ तवो? // 341 // विणओ आवहइ सिरिं, लहइ विणीओ जसं च कित्तिं च / न कयाइ दुव्विणीओ, सकज्जसिद्धि समाणेइ // 342 // जह जह खमइ सरीरं, धुवजोगा जह जहा न हायति / कम्मक्खओ अ विउलो, विवित्तया इंदियदमो अ जइ ता असक्कणिज्जं, न तरसि काऊण तो इमं कीस। . अप्पायत्तं न कुणसि, संजमजयणं जईजोगं ? // 344 // जायम्मि देहसंदेहयम्मि जयणाइ किंचि सेविज्जा। अंह पुष सज्जो अ निरुज्जमो अ तो संजमो कत्तो ? // 345 // मा कुणउ जइ तिगिच्छं, अहियासेऊण जइ तरइ सम्मं / / अहियासितस्स पुणो, जइ से जोगा न हायंति // 346 // निच्चं पवयणसोहाकराण चरणुज्जुआण साहूणं / संविग्गविहारीणं, सव्वपयत्तेण कायव्वं // 347 // 343 // 29