________________ // 324 // // 325 // // 326 // // 327 // // 328 // // 329 // पवराई वत्थपायासणोवगरणाइँ एस विभवो मे / अवि य महाजणनेया, अहंति अह इड्डिगारविओ अरसं विरसं लूहं जहोववन्नं च निच्छए भुत्तुं / निद्धाणि पेसलाणि य, मग्गइ रसगारवे गिद्धो सुस्सूसई सरीरं, सयणासणवाहणापसंगपरो। . सायागारवगुरुओ दुक्खस्स न देइ अप्पाणं तवकुलछायाभंसो, पंडिच्चप्फंसणा अणिट्ठपहो। वसणाणि रणमुहाणि य, इंदियवसगा अणुहवंति सद्देसु न रंजिज्जा, रूवं दंळु पुणो न इक्खिज्जा। गंधे रसे अ फासे, अमुच्छिओ उज्जमिज्ज मुणी निहयाणि हयाणि य इंदिआणि घाएहऽणं पयत्तेणं / अहियत्थे निहयाई, हियकज्जे पूयणिज्जाइं जाइकुलरूवबलसुअतवलाभिस्सरिय अट्ठमयमत्तो / एयाई चिय बंधइ, असुहाइँ बहुं च संसारे जाईए उत्तमाए, कुले पहाणम्मि रूवमिस्सरियं / बलविज्जा य तवेण य, लाभमएणं च जो खिसे संसारमणवयग्गं, नीयट्ठाणाई पावमाणो य / / भमइ अणंतं कालं, तम्हा उ मए विवज्जिज्जा सुटुं पि जई जयंतो, जाइमयाईसु मज्जई जो उ। सो मेअज्जरिसि जहा, हरिएसबलु व्व परिहाई इत्थिपसुसंकिलिटुं, वसहिं इत्थीकहं च वज्जंतो। इत्थिजणसंनिसिज्जं, निरूवणं अंगुवंगाणं पुव्वरयाणुस्सरणं, इत्थीजणविरहरूवविलवं च। अइबहुअं अइबहुसो, विवज्जयंतो अ आहारं // 330 // // 331 / / // 332 // // 333 // // 334 // // 335 // 28