________________ // 312 // // 313 // // 314 // // 315 // // 316 // // 317 // जो आगलेइ मत्तं, कयंतकालोवमं वणगइंदं / सो तेणं चिय छुज्जइ, माणगइंदेण इत्थुवमा विसवल्लिमहागहणं, जो पविसइ साणुवायफरिसविसं। सो अचिरेण विणस्सइ, माया विसवल्लिगहणसमा घोरे भयागरे सागरम्मि तिमिमगरगाहपउरम्मि / जो पविसइ सो पविसइ, लोभमहासागरे भीमे गुणदोसबहुविसेसं, पयं पयं जाणिऊण नीसेसं / दोसेसु जणो न विरज्जइ त्ति कम्माण अहिगारो अट्टहासकेलीकिलत्तणं हासखिड्डजमगरुई। कंदप्पं उवहसणं परस्स न करंति अणगारा साहूणं अप्परुइं, ससरीरपलोअणा तवे अरई। . सुत्थिअवन्नो अइपहरिसो य नत्थि सुसाहूणं उव्वेयओ अ अरणामओ अ अरमंतिया य अरई य / कलिमलओ अ अणेगग्गया य कत्तो सुविहियाणं? सोगं संतावं अधिइं च मन्नु च वेमणस्सं च। कारून्न रुन्नभावं, न साहु-धम्मम्मि इच्छंति भयसंखोहविसाओ, मग्गविभेओ बिभीसियाओ अ / परमग्गदसणाणि य, दढधम्माणं कओ हुंति ? कुच्छा चिलीणमलसंकडेसु उव्वेयओ अगिढेसु / चक्खुनियत्तणमसुभेसु नत्थि दव्वेसु दंताणं / एवं पि नाम नाऊण, मुज्झियव्वं ति नूणं जीवस्स / फेडेऊण न तीरइ, अइबलिओ कम्मसंघाओ जह जह बहुस्सुओ सम्मओ अ सीसगणसंपरिखुडो अ। अविणिच्छिओ अ समए तह तह सिद्धंतपडिणीओ // 318 // // 319 // // 320 // // 321 // // 322 // // 323 // 20