________________ उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघाणए य पाणविही / सुविवेइए पएसे, निसिरंतो होइ तस्समिओ . // 300 // कोहो माणो माया, लोभो हासो रई य अरई य। सोगो भयं दुगुंछा, पच्चक्खकली इमे सव्वे // 301 // कोहो कलहो खारो, अवरुप्परमच्छरो अणुसओ अ। चंडत्तणमणुवसमो, तामसभावो अं संतावो // 302 // निच्छोडण निब्भंछण निराणुवत्तित्तणं असंवासो / कयनासो अ असम्मं, बंधइ घणचिक्कणं कम्म // 303 // माणो मयऽहंकारो, परपरिवाओ अ अत्तउक्करिसो। परपरिभवो वि य तहा, परस्स निंदा असूआ य // 304 // हीला निरुवयारित्तणं निरवणामया अविणओ अ। परगुणपच्छायणया, जीवं पाडंति संसारे // 305 // माया कुडंग पच्छनपावया कूड कवड वंचणया। सव्वत्थ असब्भावो, परनिक्खेवावहारो अ // 306 // छल छोम संवइयरो, गूढायारत्तणं मई कुडिला। वीसंभघायणं पिय भवकोडिसएसु विनडंति लोभो अइसंचयसीलया य किलिट्ठत्तणं अइममत्तं / कप्पन्नमपरिभोगो, नविनटे य आगलं // 308 // मुच्छा अइबहुधणलोभया य तब्भावभावणा य सया। बोलंति महाघोरे, जरमरणमहासमुद्दम्मि // 309 // एएसु जो न वट्टिज्जा (वट्टे), तेणं अप्पा जहट्ठिओ नाओ।. मणुआण माणणिज्जो, देवाण वि देवयं हुज्जा // 310 // जो भासुरं भुअंगं, पयंडदाढाविसं विघटेइ। .. . तत्तो चिय तस्संतो रोसभुअंगोवमाणमिणं . // 311 // 26 // 307 //