________________ 277 // एस कमो नरएसु वि, बुहेण नाऊण नाम.एयम्मि। धम्मम्मि कह पमाओ, निमेसमित्तं पि कायव्वो! // 276 // दिव्वालंकारविभूसणाई रयणुज्जलाणि य घराई। रूवं भोगसमुदओ, सुरलोगसमो कओ इहयं ? देवाण देवलोए जं सुक्खं तं नरो सुभणिओ वि। न भणइ वाससएण वि जस्स वि जीहासयं हुज्जा // 278 // नरएसु जाइं अइकक्खडाइँ दुक्खाइँ परमतिक्खाई। को वण्णेही ताई ? जीवंतो वासकोडी वि . // 279 // कक्खडदाहं सामलिअसिवणवेयरणिपहरणसएहिं। . जा जायणाउ पावंति नारया तं अहम्मफलं // 280 // तिरिया कसंकुसारानिवायवहबंधमारणसयाई / न वि इहयं पावेंता, परत्थ जइ नियमिया हुंता // 281 // आजीव संकिलेसो, सुक्खं तुच्छं उवद्दवा बहुया / नीयजणसिट्ठणा वि य, अणिट्ठवासो अ माणुस्से // 282 // चारगनिरोहवहबंधरोगधणहरणमरणवसणाई / मणसंतावो अजसो, विग्गोवणया य माणुस्से // 283 // चिंतासंतावेहि य, दरिद्दरूआहिं दुप्पउत्ताहि / लक्ष्ण वि माणुस्सं, मरंति केई सुनिविण्णा // 284 // देवा वि देवलोए दिव्वाभरणाणुरंजियसरीरा / जं परिवडंति तत्तो, तं दुक्खं दारुणं तेर्सि // 285 // तं सुरविमाणविभवं, चिंतिय चवणं च देवलोगाओ। . अइबलियं चिय जं न वि, फुट्टइ सयसक्करं हिययं // 286 // ईसाविसायमयकोहमायालोभेहिं एवमाईहिं / ' देवा वि समभिभूया, तेसिं कत्तो सुहं नाम? // 287 // 24