________________ // 48 // // 49 // // 50 // // 51 // // 52 // // 53 // जं नियदेहं सीमंतिणीण जूयं दट्टण रागमुव्वहह / तस्स य देहस्स पुणो किंचि वि अहमत्तणं सुणउ तुमं जोणीमुहनिप्पडिए थणगच्छीरेण वड्डिए जाए। पगइए अमिज्झमए एरिसदेहम्मि को रागो . हा असुइ समुय्यय्यदा निग्मयाय तेण चेव बारेणं / सत्ता मोहपसत्तयाय रमंति तत्थेव असुइदारम्मि नो जाणंति वराया राएणं कलिमलस्स निद्धमणं। तत्थेव दिति रागं दुगंछणिअम्मि जोणीए सोणियसुक्को वण्णे अमिब्भमइयम्मि वच्च संघाये। रागो न हु कायव्वो विरागमूले सरीरम्मि कागसुणगेहिं भक्खे किमिकुलभक्खेय वाहि भक्खेय / देहम्मि मच्चुभक्खे सुसाणभक्खम्मि को रागो दंतमलकण्णगृहक सिंहाणगलाल पूरिए दुढे / निच्चं असासयम्मि खणमवि मा रमह देहम्मि पिच्छसि मुहं सनिलयं सविसेसं राइएण अहरेण / सकडक्खं सवियारं तरलच्छिं जुव्वणारंभे पिच्छसि बाहिरमटुं न पिच्छसि अंतरंग मुद्दिटुं / कामेण मोहिओ तुं हा होहिसी कथं मूढ / पाडलचंपगमल्लिय अगुरुयचंदण तुरुक्कवामीसं / गंधं समोयरंतो मुद्धो मन्नइ सुगंधोहं अस्थिमलो कन्नमलो खेलो संघाणओ अ पूओ य।। असुई मुत्तपुरीसो एसो ते अप्पणो गंधो जो परगिहस्स लच्छिं कहिं पि पासित्तु कहइ हं धणिओ। सो किर सयं दरिदो भासंतो कह न लज्जेइ 22 // 54 // // 55 // // 56 // // 57 // // 58 // // 59 //