________________ // 36 // // 37 // // 38 // // 39 // // 40 // // 41 // समए समए आऊसयं च विहडइ न वड्डए अहियं / परिअडइ कायलग्गा कालो छायामिसेणं ते किं किं न कयं तुमए किं किं कायव्वयं न अहुणा वि। तं किमवि कुणसु भायर जेणप्पा सिद्धिपुरमेइ उअरस्स कए को को न पत्थिओ इत्थ मइ निलज्जेणं / तं किमवि कयं न सुकयं जेण कएणं सुही होमि सव्वेसु वि जीवेसु मित्तीतत्तं करेह गयमोहो / परिहरह वेरभावं अदं रुदं च वोसिरह सयलसमाहि निहाणं वियरिय भवियणसमूह थिरठाणं / पावमलवारिपूरं सासय-संवेग अब्भसह खंतीपयारमंडिय महिं सगोउरं तं उज्झम कवाडं। जीवनरिंदपमुइयं नदउ वेरग्गपट्टणयं संवेग विणा जं कि पि पालिज्जइ वयणमणुव्वयं भाय / तं किर अहलं नेयं ऊसर खित्तम्मि बीयव्व / जइ इच्छह परमपयं अहवा कम्मक्खयं च वा तत्तं / ता पालह जीवदयं जिणसासणपुत्ति सावित्ति मा भणह अलियवयणं सुणिऊणं वसु-वसुहवई चरियं / सच्चं पिय मा भासह जं परपीडाकरं होई . लोए वि जं सुणिज्जइ सच्चं भासं तओ गओ नरयं / कोसिय मुणि वि सुत्तस्स भणियं आणं तहा कुणह जेण परो दुम्मिज्जई पाणिवहो जेण होइ भणिएण / अप्पा पडइ किलेसे न हु तं भासंति गीयत्था वज्जह अदत्तगहणं वह बंधण दायगं च अयसकरं / संवेग वुद्धिपत्ता सत्ता न रमंति अत्ताह 291 // 42 // // 43 // // 44 // // 45 // . // 46 // // 47 //