________________ साहूण दंसणं पि हु गुणावहं सोम-सन्तरूवाणं / जह तक्करस्स तह भिगु-[उ]वरोहियपुत्तजुयलस्स. // 43 // जं जस्स पुव्वविहियं सो तं पावेइ एत्थुदाहरणा। ... करकंडु-नमी तह चारुदत्त-वणिबंधुदत्ता य // 44 वसणम्मि समावडिया मुयंति धीरत्तणं न सप्पुरिसा / .. विहवे वि विगयगव्वा नायं नरविक्कमकुमारो // 45 पुरिसक्कारपरेहिं वि विहिपरिणामो खलिज्जए नेय / दियसुय-कुक्कुड-जायव-मित्ताणंदा य दिटुंता // 46 // . रुण्णेण सोइएण य कालग्घत्थो न एइ इह बंधू / .. भरहो सगरो रामो पउमो एत्थं उदाहरणा // 47 // बंधू वि इह अरित्तं कुणइ सकज्जेण तेसु को मोहो ? / रविकंत-चुलणि-कोणिय-संख-भरहकणगकेउ व्व // 48 // सव्वमणिच्चं नाउं सोयटाणे वि पंडियजणेहिं / / न हु सोगो कायव्वो धम्मे च्चिय होइ जइयव्वं // 49 // असुहफलो जमवस्सं रोयणमाईओ लोइओ सोओ / सावित्ति-मंति-समणी-राम-कुलाणंदनाएणं // 50 // जिणवयणभावियमई संसारासारयं वियाणंता / न करंति मए सोयं भवियकुडुंब व सुपिए पि // 51 // सम्मं सहति धीरा कम्मवसेणं समागयं दुक्खं / पासजिण-वीर-गयमुणि-मेयज्ज-सणंकुमार व्व // 52 // अक्खाणयमणिकोसं, एयं जो पढइ कुणइ जहजोगं / . देविंद-साहुमहियं, अइरा सो लहइ अपवग्गं // 53 // 282