________________ को वि न अवमन्निज्जइ, न य गविज्जइ गुणेहिं निअएहि / न य विम्हओ वहिज्जइ, बहुरयणा जेणिमा पुहवी // 22 // आरंभिज्जइ लहुअं, किज्जइ कज्ज महंतमवि पच्छा। न य उक्करिसो किज्जइ, लब्भइ गुरुअत्तणं जेण // 23 // झाइज्जइ परमप्पा, अप्पसमाणो गणिज्जइ परो / किज्जइ न रागदोसो, छिन्निज्जड़ तेण संसारो // 24 // उवएसरयणमालं, जो एवं ठवइ सुट्ट निअकंठे। सो नर सिवसुहलच्छी, वच्छयले रमइ सच्छाई // 25 // सिद्धान्तशिरोमणि पू.आ.श्रीनेमिचन्द्रसूरिविरचितः .. // आख्यानकमणिकोशः // . नमिऊण जिणं वीरं सुरमहियं केवलि पवरवाणि / अक्खाणयमणिकोसं भव्वजणविबोहयं वोच्छं // 1 // लक्ष्णं नरत्ताइं सामग्गी मोक्खसाहणे धम्मे। . दाणाइए पवित्ती कायव्वा बुद्धिमंतेहिं // 2 // उप्पत्तिय वेणइया कम्मय परिणामिया चउह बुद्धी / भरह-निमित्तिय-करिसग-अभयाईनायओ नेया // 3 // आरंभपवत्ताणं गिहीण बहुविहपरिग्गहजुयाणं / धम्मस्स पहाणंगं दाणं ता तत्थ जइयव्वं सुर-नर-सिवसोक्खाणं मुणिदाणं कारणं जओ जायं। . धण-धन्नय-कयउन्नय-दोणाई-सालिभद्दाणं दिन्नं सुपत्तदाणं इहेव कल्लाणकारगं होइ। .. चक्कयर-चंदणज्जा समूलदेवा उदाहरणं // 4 // 208