________________ जेणं भवे बंधुजणे विरोहो, विवड्डेए रज्जधणम्मि मोहो। जो जंपिऊ पावंतरुप्परोहो, न सेवियव्वो विसमो स लोहो // 36 // जणो सुणित्ता नणु जाइ दुक्खं, तं जंपियव्वं वयणं न तिक्खं / इहं परत्था वि य जं विरुद्धं, न किज्जए तं पि कया निसिद्धं // 37 / / दव्वाणुरूवं विरइज्ज वेस्सं, कुज्जा न अन्नस्स घरे पवेसं / साहूणऽसाहूण तहा विसेसं, जाणिज्ज जंपिज्ज न दोसलेसं // 38 // भत्तिं गुरूणं हियए धरित्ता, सिक्खिज्ज नाणं विणयं करित्ता / अत्थं वियारिज्ज मईइ सम्मं, मुणी मुणिज्जा दसभेयधम्मं // 39 // हासाइछक्कं परिवज्जियव्वं, छक्कं वयाणं तह सज्जियव्वं / पंचप्पमाया न हु सेवियव्वा, पंचंतराया वि निवारियव्वा // 40 // साहम्मियाणं बहुमाणदाणं, भत्तीइ अप्पिज्ज तहऽन्नपाणं / वज्जिज्ज रिद्धीइ तहा नियाणं, एयं चरित्तं सुकयस्स ठाणं // 41 // अहिंसणं सव्वजियाण धम्मो तेसिं विणासो परमो अहम्मो / मुणित्तु एवं बहुपाणिघाउ विवज्जियव्वो कयपच्चवाउ // 42 // कोहेण लोहेण तहा भएणं, हासेण रागेण य मच्छरेणं / भासं मुसं नेव उदाहरिज्जा, जा पच्चयं लोयगयं हरिज्जा // 43 / / असाहुलोएण य जं पवनं, बुहो न गिहिज्ज धणं अदिन्नं / अंगीकए जम्मि इहेव दुक्खं, लहइ लहुँ नेव कयाइ सुक्खं // 44 // समायरं वा अवरस्स जायं, मन्निज्ज छिदिज्ज जणाववायं / जे अन्नकंतासु नरा पसत्ता, ते झत्ति दुक्खाइ इहेव पत्ता // 45 // जे पावकारीणि परिग्गहाणि, मेलति अच्वंतदुहावहाणि / तेसि कहं हुंति जए सुहाणि, सया भविस्संति महादुहाणि // 46 / / सई सुणित्ता महुरं अणिटुं, करिज चित्तं न हु तुट्ठरुटुं। रसम्मि गीयस्स सया सरंगो, अकालमच्चुं लहई कुरंगो // 47 // 273