________________ कम्माण पुग्गलाण य छेयणं सुतवस्सिणं / सो सत्तवनभेएणं जिणेहिं परिकित्तिओ // 107 // "समिई गुत्ति परीसह जइधम्मो भावणा चरित्ताणि / पण ति दुवीस दस बार पंचभेएण सगवन्ना // 108 // " जीए जीवाण कम्माणं बीयं डज्झइ सव्वहा / निज्जरा सा सकामा य अकामा य भवे दुहा // 109 // सकामा साहु संघस्स अकामा सेसपाणिणं / / बज्झन्भंतरभेएणं तवसा बारसा य सा * // 110 // . उड्डे चउदस रज्जू दीहो पुण वित्थरेणिमो लोगो। ..... रज्जू कत्थ य दुन्निय कत्थ य जा सत्तरज्जूओ // 111 // नरयासुरवासेहिं असंखदीवोदहीहिं संजुत्तो / छदव्वसमाहारो भाविज्जइ एस जियलोओ // 112 // अह अन्नहा सरूवं इमस्स लोयस्स पिच्छइ(ए) विबुहो / भगिणी भवेइ भज्जा जणणी वि य होइ तह भज्जा // 113 // मरिऊण पिया पुत्तो पउत्तपुत्तो य होइ तह जणओ / पुत्ती तह य दुहित्ती होइ य भज्जा सवक्की य // 114 // ' चुलणी पुत्तं मारइ खायइ वग्घी सुकोसलं पुत्तं / अणवत्था संसारे अहो अहो ! कम्मजीवाणं // 115 // दुलहो माणुसजम्मो दसदिटुंतेहिं भाविओ लद्धो। तत्थ वि य धम्मजुग्गं दुलहं खित्तं च जिणधम्मो // 116 // . दुलहं सावयगुत्तं दुलहं आरुग्गमाउयं बुद्धी / दुलहं सुधम्मसवणं गुरुसद्धा धम्मसामग्गी // 117 // सम्म सम्मइंसण-नाणचरितं च भावणाओ य / / वेरग्गभावणा वि य परमा तित्थयरभत्ती य / // 118 // 258