________________ सचेयणाचेयणया पसत्था समागया जे तणुभोगभावं / सव्वे वि ते अप्पसरूवओ वा, विलक्खणा तेहिं तुमं पि अन्नो 95 अन्नं सभज्जरज्जं सया माया पिया व अन्नो य / कुलबलभूतलमन्नं धम्म मुत्तूण सममन्नं जीवो पयत्थनाणी सुद्धो निच्चो जडाइधणवत्थू / सव्वं हिच्चा वच्चइ इय अन्नत्तं धणो मुणइ // 97 // निसग्गेण [गायं?]सया पूइगंधं सिराचम्महड्तजालेण बद्धं / अणेगासुइच्चायदुव्वायपुण्णं सरीरं किमीकीडकोडिप्पकिण्णं // 98 जेहिं पमुत्तूण य इंदियत्थे दिन्नं सरीरं सिवसाहणत्थे / इमस्स देहस्स बुहेहिं तेहिं कयंबविप्पु व्व फलं गहीयं / / 99 // मिच्छत्त-पमाय-कसाय-जोगु अविरइपण-आसवगहिय लोगु / सबिलं जह सचइय जाणवत्तु असुहासवओ तह कम्मपत्तु // 100 पण विसयवग्घगत्थं रागद्दोसग्गिणा उ संतत्तं / चित्तं कसायखग्गं कम्मं असुहासवं जणइ // 101 // समसंवेयनिव्वेय - तत्तचिंतावलंबियं / सव्वजीवसुहारूढं मणं देइ सुहासवं // 102 // भूओवघायजणयं वयणं सच्चं पि सत्तदुहजणयं / उम्मग्गपावसुयगं पावासवहेउयं भणियं // 103 // सयारंभाइजोगेहिं पाववावारओ वि य / . अंगाणि पावकम्माणि जोययंति य दैहिणं // 104 // धम्माणुट्ठाणजुत्तेणं गुत्तकाएण संजओ / संचिणेइ सुहं कम्मं खवेइ असुहं तहा // 105 // . आसवाण निरोहो जो संवरो सो पकित्तिओ / दव्वभावविभेएणं संवरो दुविहो भवे // 106 // 250