________________ सणंकुमारिंदसमा य के वि, सुरा य संघस्स सुहाइकम्मा / अभव्वया के वि य संगमुव्व, बहुं जिणिदस्स व दिति पीडं३६ पडिणीओ नायपुत्तस्स गोसालोसुत्तभासओ। तस्सावि भत्तया देवा कुंडकोलियवारगा // 37 // सोहम्म-चमरिंदा वि के वि लोगाण दुक्खया / . अहो ! देवाण किं नूण-महो ! देवविचित्तया // 38 // आसाढायरियगुरू पुब्बिं जीवाइधम्मफलसंको / पडिबोहिओ सुरेणं पच्छा नियसीसरूवेणं // 39 // . सुणिय सत्तविचित्तसरूवयं, विजयसिंहमुणिंदसुभासि / सिहिकुमारमुणि व्व सुमाणसं वहइ जो स मुणी मुणिपुंगवो 40 जं जं जीवाण दुल्लंभं, नायपुत्तेण भासियं / भाविऊण मणे तं तं कुणसुप्पं पुण्णवासियं // 41 // जहा मत्तो न याणाइ बहुसिटुं अणुसासियं / तहा मूढो न याणाइ अप्पाणं हिरिपासियं // 42 // मणुयत्त-सुखित्त-पवित्तगुत्त, गुरुतत्तजिणुत्त सुसुत्त गत्त / अपमत्त सुघत्त सुचित्त वित्त, वर सत्त जोग दुलहो सुसत्त 43 जह अमरगुत्तसाहू गुरुप्पओसेण दुल्लहं बोहिं। पत्तो करेइ तं तह धरणकुमारस्स तं मुणह // 44 // सज्झायझाणसुयनाणमहिज्झमाणो, आया सुही अ जवरायरिसि व्व माणो। आया सुही य समयारससुद्धपाणो, मेयज्जओ धणमुणी य जहा समाणो // 45 विणओ जिणओ बि(वि?)णओ, गुणओ विणओ य सव्वसुहज़णओ। विणओ जणओ धणओ, विणओ जीवाण मूलणओ // 46 // सिरिवीरवयणपालो, जह जाओ सयलजीवगोवाली / विणएण पुप्फसालो तह जीवो होइ गुणसालो . // 47 / / ૨પ૦