________________ इहलोए दाणाओ लहंति भव्वा सुहं च सोहग्गं / जसपसरं ससिसरिसं रज्जं चउरंगबलकलियं . // 12 // परलोए. सुररमणीसंभोगसुहाणि अणुहवेऊण / दाणपरा परिपालिय चरणं साहिति सिद्धिपहं // 13 // जे माणदुद्धरमणा कस्स वि सीसं णियं ण णामति / . . ते वि हु दाणपराणं चाडुयवयणाणि भासंति // 14 // . माणंसिणो वि धणसालिणो वि मणुया मणे सकरुणावि / अवि गुणरयणनिहाणा, दाणेण विणा तिणसमाणाः // 15 // जह रयणाणं चिंतारयणं. कप्पद्रुमो जह .दुमाणं / तह दाणाणं पउरं सुपत्तदाणं जिणा बिंति // 16 // के के कुपत्तजणदाणदाइणो इह न संति पाणिगणा / ... ते पुण विरला पत्ते जे णियविहवं फउंजंति // 17 // अरजिणवरस्स जीवं जिणदासेणं पराइ भत्तीए / परमन्नेणं पाराविऊण पत्ताई सुक्खाइं // 18 // तं चित्तवित्तपत्ताण, भेयओ जायए महासहलं / एयं तिवेणिसंगमतित्थं समए पवित्तयरं // 19 // ते धन्ना सकयत्था तेसिं सहलं च माणुसं जम्मं / ' संपिच्छिऊण मुणिणो जेसिं चित्तं समुल्लसइ // 20 // जं उत्तमसंगेणं समज्जियं वज्जियं च कवडेणं / तं पत्तदाणजुग्गं वित्तं संजायइ पवित्तं // 21 // पंचमहव्वयकलियं अक्खलियं णाणदंसणचरित्ते / . अट्ठमयविप्पमुक्कं जियदुसहपरीसहसमूहं // 22 // जियकोहं जियमाणं जियमायं तहय चेव जियलोहं / .. जियकामं जियमोहं जियणिद्दापंचयं णिच्चं . // 23 // 234