________________ // 4 // पू.आ.श्रीजयसिंहसूरिविरचिता // धर्मोपदेशमाला // सिज्झउ मज्झ वि सुयदेवि ! तुज्झ भ(स)रणाउ सुंदरा झत्ति / धम्मोवएसमाला विमल-गुणा जय-पडाय व्व // 1 // जिण-सिद्ध-सूरि-उज्झाय-साहु-सुयदेवि-संघ-नाणाणि / . धम्मोवएसमालं थोऊण भणमि सुय-विहिणा // 2 // कालोवयोगि संतं पत्ते पत्तंम्मि धम्म-सद्धाए। सव्वोवाहि-विसुद्धं धणो व्व देज्जाहि मुणि-दाणं // 3 // लहुइय-सेसाहरणं तियसाण वि दोल्लहं महाइसयं / राईमइ व्व निच्चं सीलाहरणं खु रक्खेज्जा मयण-परायत्ता वि हु मुणिणो न मुअंति नियय-मज्जायं / रहनेमि व्व महप्पा रायमई-दंसणाहितो ' णत्थि असझं किंचि वि तवस्स चिन्नस्स माणुसे लोए / तं कुणसु जहा-सत्तिं दढप्पहारि व्व मुणि-सीहो .. // 6 // भावमइएण पावइ केवलि(ल)नाणं इलाइ-तणउव्व / भरहाहि व्व भरहो मरुदेवी-सामिणी अहवा . // 7 // मरणभयम्मि वि मुणिणो जिण-वयणं णण्णहा परूवंति / दिअ-दत्त-पुच्छिओ कालउ व्व जण्णाण फलमसुहं // 8 // रागानल-संतत्तो कज्जमकज्जं ण पिच्छए पुरिसो / राय-महिलाय(इ) रत्तो महुराए वणिय-तणउ व्व धम्मोवएसयाणं गुरूण विणयं करेज्ज भत्तीए। . संपत्त-केवलाए [वि य] जहा कओ पुप्फचूलाए // 10 // चेट्ठो(बद्धो)त्तर-माया-कूड-कवड-दोसाण मंदिरं महिला / जह नेउरपंडि[इ]या णिदेट्ठा पुव्वसूरीहिं // 11 // 220