________________ रम्माओ रमणीओ, दळु विविहाओ कामतविअस्स। कत्थ सुहं तुह होही ?, भणिअमिणं आगमे वि जओ // 93 // जइ तं काहिसि भावं, जा जा दिच्छसि नारीओ। वायावि यहडोव, अट्ठिअप्पा भविस्ससि // 94 // रमणीणं रमणीयं, देहावयवाण जं सिरिं सरसि। जुव्वणविरामवेरग्ग-दाइणि तं चिय सरेसु // 95 // सीलपवित्तस्स सया, किंकरभावं करंति देवा वि। सीलब्भट्ठो नट्ठो, परमिट्ठी वि हु जओ भणियं // 96 // जइ ठाणी जइ मोणी, जइ मुंडी वक्कली तवस्सी वा। .... पत्थितो अबंभं, बंभा वि न रोअए मज्झ // 97 // इय भावंतो भावं, सजोगजुत्तो जिइंदिओ धीरो। रक्खइ मुणी गिही वि हु, निम्मलनिअसीलमाणिक्कं // 98 // एगते मंताइ, पासत्थाइकुसंगम वि सययं / परिवज्जंतो नवबंभगुत्तिगुत्तो चरे साहू // 99 // वेसादासीइत्तर-पमुहाणमसेसदुट्ठनारीणं / सीलवयरक्खणटुं, गिही वि संगं विवज्जिज्जा // 100 // वेसादासीइत्तर-परंगणालिंगिणीण सेवाओ। वज्जिज्ज उत्तरोत्तरं, एएसिं दोसा विसेसेणं // 101 // जूआरपारदारिअ-नडविडपमुहेहिं सह कुमित्तेहिं / संगं वज्जिज्ज सया, संगाओ गुणा वि दोसा वि // 102 // मिउभासिणी सुलज्जा, कुलदेसवयाणुरूववेसधरा / अभमणसीला चत्ता-सइसंगा हुज्ज नारी वि // 103 // देवगुरुपियरससुराइएसु भत्ता थिरा वरविवेआ। कंताणुरत्तचित्ता, विरला महिला सुदढचित्ता . // 104 // 218