________________ // 84 // रूवोवहसियमयर-द्धयं पि पुहवीसरं पि परिहरिउं / इयरनरे वि पसज्जइ, ही ही ! महिलाण अहमत्तं // 81 // धीरा व कायरा वा, नारी मुद्धा व बुद्धिमंता वा। रत्ता व विरत्ता वा, सरला कुडिला व नो जाणे // 82 // निअमइमाहप्पेणं, जे सयलं तिहुअणं परिकलयंति / नारीचरियवियारे, ते वि हु मूढ व्व मूअ व्व // 83 // अन्नं रमइ निरक्खइ, अन्नं चितेइ भासए अन्नं / अन्नस्स देइ दोसं, कवडकुडी कामिणी विउला जत्थाणुरत्तचित्ता, सइ धणदेसाइअं पि छंडेइ / तं पि हु खिवेइ दुक्खे, महिला मिंठस्स निवभज्जा // 5 // कुडिलं महिलं ललिअं, परिकलिउं विमलबुद्धिणो धीरा / धन्ना विरत्तचित्ता, हवंति जह अगडदत्ताइ // 86 // मुहमहुरासु निग्घिण-मणासु नारीसु मुद्ध ! वीसासं / जइ तं लहसि अवस्सं, पएसिराउ व्व विसमदसं अणुकूलसपिम्माण वि, रमणीणं मा करिज्ज वीसासं / जह रामलक्खमणेहिं, सुप्पणहाए महारण्णे // 88 // परमणिपत्थणाओ, दखिन्नाओ वि मुज्झ मा मूढ ! / पडसि अणत्थे किं किल, दक्खिन्नं रक्खसीहिं समं // 89 // पररमणीरंगाउ, सोहग्गं मा गणेसु निब्भग्ग!। जइ सिद्धिवहूरंगं, कारइ ता मुणसु सोहग्गं // 90 // बहुमहिलासु पसत्तं, सिवलच्छी कह तुमं समीहेइ ? / . इअरा वि पोढमहिला, अन्नासत्तं न ईहेइ // 91 // सासयसुहसिरिरम्मं, अविहडपिम्मं समिद्धिसिद्धिवहुं। जइ ईहसि ता परिहर, इअराओ तुच्छमहिलाओ // 92 // 210 // 87 //