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________________ // 69 // // 70 // // 71 // // 72 // // 73 // // 74 // विभूसा इत्थीसंसग्गो, पणीयं रसभोयणं / . नरस्सत्तगवेसिस्स, विसं तालउडं जहा. जहा कुक्कुडपोयस्स, निच्चं कुललओ भयं / एवं खु बंभयारिस्स, इत्थी विग्गहओ भयं चित्तभित्तिं न निज्झाए, नारिं वा सुअलंकि। भक्खरं पिव दट्टणं, दिट्टि पडिसमाहरे हत्थपायपडिच्छिन्नं, कन्ननासविगप्पियं। अवि वाससयं नारिं, बंभयारी विवज्जए. विसमा विसयपिवासा, अणाइभवभावणाइ जीवाणं / अइदुज्जेआणि अ, इंदियाणि तह चंचलं चित्तं थोवमसारं सत्तं, मोहणवल्लीओ महिलिआओ वि। इइ कह वि चलिअचित्तो, ठावए एवमप्पाणं रे जीव ! समइकप्पिय-निमेससुहलालसो कहं मूढ ! / सासयसुहमसमतम, हारयसि संसिसोयरं च जसं .. कलिमलअरइअभुक्खा-वाहीदाहाई विविहअसुहाई। मरणं पि हु विरहाइसु, संपज्जइ कामतविआणं विसईण दुक्खलक्खा, विसयविरत्ताणमसमसमसुक्खं / जइ निउणं परिचिंतसि, ता तुज्झ वि अणुभवो एसो जासिं च संगवसओ, जसधम्मकुलाइं हारसे मूढ ! / तासि पि किं पि चित्ते, चिंतसु नारीण दुच्चरियं चवलाओ कुडिलाओ, वंचणनिरयाओ दुटुधिट्ठाओ। तह नीअगामिणीओ, जाओ तासि पि को मोहो? गुणसायरं पि पुरिसं, चंचलचित्ता विवज्जिउं पावा। वच्चइ निरक्खरे वि हु, नीअत्तमहो महेलाए 216 // 75 // // 76 // // 77 // // 78 // . // 79 // // 8 // // 80 //
SR No.004458
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages346
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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