________________ // 21 // // 22 // // 23 // // 24 // // 25 // // 26 // पूइज्जंति सिवत्थं, केहिं वि जइ कामगद्दहा देवा।। गत्तासूयरपमुहा, किं न हु पूयंति ते मूढा विसयासत्तो वि नरो, नारी वा जइ भइज्ज गुरुभावं / ता पारदारिएहिं, वेसाहिं वा किमवराद्धं मेहुणसन्नारूढो, नवलक्खं हणइ सुहुमजीवाणं। इय आगमवयणाओ, हिंसा जीवाणमिह पढमा नो कामीणं सच्चं पसिद्धमेयं जणस्स सयलस्स। तित्थयरसामिपमुहा-दत्तं पि हु तत्थ खलु हुज्ज अबंभं पयर्ड चिय, अपरिग्गहियस्स कामिणी नेय। इय सीलवज्जियाणं, कत्थ वयं पंचवयमूलं ता कह विसयपसत्ता, हवंति गुरुणो तहा पुणो तेहिं / भग्गा जिणाण आणा, भणियं एयं जओ सुत्ते न हु किंचि अणुनायं, पडिसिद्धं वा वि जिणवरिंदेहि / मुत्तुं मेहुणभावं, न तं विणा रागदोसेहि ता सयलइयरकट्ठा-णुट्ठाणसमुज्जम परिहरेउं। . इक्कं चिय सीलवयं, धरेह साहीणसयलसुहं सावज्जजोगवज्जण-सज्जा निरवज्जउज्जुआ वि जए। नारीसंगपसंगा, भग्गा धीराण सिवमग्गा संवेगगहियदिक्खो, तब्भवसिद्धी वि अद्दयकुमारो। वयमुज्झिय चउवीसं, वासे सेविसु गिहवासं पइदिवसं दहदह-बोहगो वि सिरिवीरनाहसीसो वि। सेणियसुओ वि सत्तो, वेसाए नंदिसेणमुणी जउनंदणो महप्पा, जिणभाया वयधरो चरमदेहो। रहनेमी रायमई, राइमई कासि ही विसया . 212 // 27 // // 28 // // 29 // // 30 // // 31 // . // 32 //