________________ // 9 // // 10 // // 11 // // 12 // // 14 // जाणंति धम्मतत्तं कहंति भावन्ति भावणाओ य / भवकायरा वि सीलं धरिउं पालंति नो पवरा दाणतवभावणाई-धम्माहितो सुदुक्करं सीलं / इय जाणिय भो भव्वा, अइजत्तं कुणह तत्थेव तं दाणं सो य तवो, सो भावो तं वयं खलु पमाणं / जत्थ धरिज्जइ सीलं अंतररिउहिययनवकीलं कलिकारओ वि जणमारओ वि सावज्जजोगनिरओ वि। जं नारओ वि सिज्झइ, तं खलु सीलस्स माहप्पं दाया वि तवस्सी वि हु, विसुद्धभावो वि सीलपरिभट्ठो / न लहइ सिवसुहमसमं, ता पालह दुक्करं सीलं दीसंति अणेगे, उग्गखग्गविसमंगणे महासमरे। . भग्गेवि सफलसिन्ने, मं भीसादायिणो धीरा दीसंति सीहपोरिस-निम्महणादलियमयगलगणा. य / मयणसरपसरसमये, सपोरिसा के वि विरला.य जे नामंति न सीसं, कस्स वि भुणे वि ते महासुहडा / रागंधा गलियबला, रुलंति महिलाण चरणतले सक्को वि नेय खंडइ, माहप्पमडप्फरं जए जेसि / ते वि नरा नारीहिं, कराविया निययदासत्तं मरणे वि दीणवयणं, माणधणा जे नरा न जंति / ते वि हु कुणंति लल्लिं, बालाण य नेहगहगहिला / जे सयलसत्थजलनिहि-मंदरसेला सुएण गारविया / बालालल्लुरवयणेहिं, ते वि जायंति हयहियया हरिहरचउराणणचंद-सूरखंदाइणो वि जे देवा / नारीण किंकरतं, करंति धिद्धी विसयतण्हा // 15 // // 16 // // 17 // // 18 // // 19 // // 20 // 211