________________ . // 524 // जाव सुरसिहरिचूडा-चूडामणिसन्निहे जिणाययणे। धारेइ ताव नंदउ, हिओवएसो इमो भुवणे निसुणंत-पढंत गुणतयाण, कल्लाणकारणं एसो। गाहाणं संखाए, पंचसया पंचवीसहिया // 525 // // 2 // // 3 // पू.मु.श्री.जयकितिसूरिविरचिता ॥शीलोपदेशमाला // आबालबंभयारि नेमिकुमारं नमित्तु जयसारं। . सीलोवएसमालं वुच्छामि विवेयकरिसालं निम्महियसयलहीलं, दुहवल्लीमूलउक्खणणकीलं / कयसिवसुहसंमीलं, पालह निच्चं विमलसीलं लच्छी जसं पयावो, माहप्पमरोगया गुणसमिद्धी / सयलसमीहियसिद्धी सीलाउ इह भवे वि भवे परलोए वि हु नरसुर-समिद्धिमुव जिऊण सीलभरा / तिहुयणपणमियचरणा, अरिणा पावंति सिद्धिसुहं देवो गुरू य धम्मो, वयं तवं गुत्तिमवणिनाहो वि। . पुरिसो नारी वि सया, सीलपवित्ताई अग्घंति . दायारसिरोमणिणो, के के न हुया जयम्मि सप्पुरिसा / के के न संति किं पुण, थोव च्चिय धरियसीलभरा छट्ठट्ठमदसमाई-तवमाणा वि हु अईव उग्गतवं / अक्खलियसीलविमला, जयम्मि विरला महामुणिणो जं लोए वि सुणिज्जइ, नियतवमाहप्परंजियजया वि। दीवायणविस्सामित्त-पमुहमुणिणो वि पब्भट्ठा . // 4 // // 5 // // 6 // .. // 7 // // 8 // 210