________________ कुल-जाइ-रूव-मेहा-बल-विरिय-पहुत्त-वित्तपरिहीणा। जं हुंति नरा सो नणु, अट्ठमयट्ठाण य विवागो // 50 // सविसेसं जे. दोसा, हुंति अहंकार-तरलियमईणं। अत्तुक्करिसदुवारे, पुरा वि ते पयडिया पायं // 501 // तम्हा मद्दवपविणा, माणगिरिं कुणह लूणपक्खमिणं / / नावि मद्दइ विणयवणं, जेणेसो सिवसुहफड़े // 502. // मा इंदजालमुवदंसिऊण, वंचंति किर परं धुत्ता। मूढा न मुणंति इमं, अप्पं चिय वंचिमो एवं, . // 503 // किं एयं विउसत्तं, वंचिज्जइ जं जणो सुवीसत्थो / जं अस्थि वियड्ढत्तं तो वंचह जर-मरणजालं // 504 // अन्नायपवंचेहि, सुठ्ठ जणो वंचिउं ति हियएण / कीस हसंति हयासा, दीसंता दिव्वनाणीहिं , // 505 // वित्ताइ निमित्तेणं, कयगाए उद्धरिज किर धम्मो। धम्ममि जेसि माया, को माया तेसि तिजए वि // 506 // ता निबिड-नियडि-निगडस्स, विहडणे पडु-पक्खमाडोवं / अज्जव-मयकंतमणि व, कुणह संनिहिय-मणवरयं // 507 / / गाहंति गहिरमुदहि, अडंति वियडाडवीसु भीमासु / पविसंति य विवरेसुं, रसकूइयं पलोयंति // 508 // तिहुयण-विजयं, विज्जं जवंति रत्तिं भमंति पेयवणे / कुव्वंति धाउवायं, खिजंति य खन्नवाएण // 509 // पसिणंति किण्हचित्तय-उप्पत्तिं धुत्त देसिएहितो। निउणं बिल्लपलासप्प-रोहं मग्गं वि मग्गंति // 510 // वंचंति सामिगुरुजणय-तणयसयणाइयं च जं पुरिसा / विलसियमिणमोसयलं, निब्भरलोभस्स निब्भंतं // 511 // 208