________________ २णा सम्म। उग्गम-उप्पायण-दुविह-एसणा-सुद्धमन्न-वत्थाई / कारणजाए जइणो, गिण्हंता एसणासमिया // 476 // . खणमित्ततित्तिहेउस्स, कहं णु खुद्दस्स भोयणस्स कए ? / पिल्लिज्ज पिंडसमिई, संजम-संजीवणि विउसो // 477 // खंडंति पिंडसोहिं, छुहवेयण-विहूरिया वि जे कीवा। दुग्गोवसग्ग-वियणा-विणिवाए का गई तेसिं? // 478 // रसगारवम्मि गिद्धा, मुद्धा हारंति तुच्छ-सुह-लुद्धा। दिव्वाइं सुहसयाई, अच्छरगणघणसिणेहाइं , // 479 // तम्हा सइ संथरणे, चइज्ज पिंडेसणं न मणसा वि। जा एय असंथरणे, जइज्ज जयणाइ जहजुग्गं // 480 // दटुं दिट्ठीइ पमज्जिऊण, रयहरणमाइणा सम्मं / आयाणसमइ-समिया, गिण्हंति मुयंति उवगरणं // 481 // मल-जल-खेलाइयं, सुप्पडिलेहिय-पमज्जियपएसे / जयणाइ वोसिरावण-पुव्वं निसिरंति तस्समिया // 482 / / परिचत्तअट्ट-रुद्दे, मणम्मि समभावभाविए सम्मं / . वरधम्म-सुक्कज्झाणाण, संकमो होइ मणगुत्ती // 483 // विगहा-परिहारेणं, सज्झायं पंचहा जहाजोगं / जुंजंता वयगुत्ता, हुंति मुणी अहव कयमोणा // 484 // वीरासणाइएहिं, अगणंता गिम्ह-सिसिर-मसगाई। आयाविंता मुणिणो, अपमत्ता हुंति तणुगुत्ता // 485 // ईय समिइ-गुत्तिवज्जंगियाइसंवम्मिओ सुमुणिसुहडो / न पमाय-भिल्ल-भल्ली-संपाए खुभइ मणयं पि // 486 // कायव्वो य पमाओ, मुणीहि सव्वप्पणा हयपयावो।' एसो हु लद्धपसरो, कं न विलंघेइ जं भणियं // 487 // 206