________________ // 452 // // 453 // // 454 // // 455 // // 456 // // 457 // छव्विह-जीवनिकायं, जावज्जीवं पि तिविहं तिविहेणं / मणवयतणूहि रक्खइ, जं तमिह महव्वयं पढमं महुर-मगव्विय-मणलिय-मवाहयं कज्जसारमणवज्जं / जं जं पिज्जइ वयणं, तं बिंति महव्वयं बीयं अवि दंतमित्तसोहण-मदिन्नमन्नस्स जन्न गिण्हन्ति। समतिण-मणिणो मुणिणो, तं,हवइ महव्वयं तइयं सुर-नर-तिरि-नारीसुं, मणसा वि वियारवज्जणं जमिह / बंभाणस्स वि भययं, भणंति बंभव्वयं तं तु धण-धन्न-हिरनाइसु, सावय-उवगरण-वसहिपभिईसु / मुच्छाविच्छेयपरं, अप्परिग्गहमिह वयंति विऊ दिण-रयणि-गहण-भोयण-भेयचउब्भंगिसंगयं जं च / तं राइभत्तं पि हु, एयाणुगयं चयंति मुणी' एए पंच मुणीणं, महव्वया पव्वय व्व अइगरुया / धीरचरियाण सुवहा, सुदुव्वहा कीवपयईणं . एए धम्मरहस्सं, पइच्चिय सव्वविरइसव्वस्सं। / एए परमं नाणं, एइच्चिय मुक्ख-पहजाणं एएहि अणुग्गहिओ, दमगो वि गुरुत्तणं तहा लहइ। जह चक्कवट्टिणो वि हु, महंति अहमहमिगाइ इमं पिच्छह विरईइ-फलं, फुरंत-मणिमय-किरीड-कोडीहि / पय-नह-पंति विलहंति, तियस-पहुणो मुणिजणस्स उच्छिंदिऊण गिहवास-पासमइनिसियतवकिवाणेण। धन्ना अप्पडिबद्धा, विहग व्व महीइ विहरंति तम्हा महव्वयाई, लद्धं कहकह वि पुनजोएण। पालिज्ज पयत्तेणं, रयणाई रोरपुरिसु व्व 204 // 458 // // 459 // // 460 // // 461 // // 462 // // 463 //