________________ // 38 निरहंकारो वि नरो न, रोचए ताव गुणिसु अप्पाणं / जाव समुन्नइहेउं कयन्नुयन्नं न पयडेइ // 380 // लब्भइ न सहस्सेसु वि, उवयारकरो वि इहं नरो ताव / जो मन्नइ उवयरियं, सो लक्खेसुं पि दुल्लक्खो // 381 // उत्तम-अहमवियारे वीमंसह किं मुहा बुहा तुब्भे। अहमो न कयग्घाओ, कयन्नुणो उत्तमो ननो, // 382 // नणु तेण रयणगब्भा, धरइ धरा जं कयन्नुणो पुरिसे। जं पुण वहइ कयग्घे, तेणं चिय मेइणी वि इमा // 383 // अच्छउ पच्चुवयारो, उवयारकरम्मि ता कयग्घस्स। एयं पि भणइ धिट्ठो, उवयरइ भएण मम एसो // 384 // हुज्ज वरमणुवयारी, पच्चुवयारम्मि मंथरो वा वि। .. जइ मग्गिय पि लब्भइ, ता मा हुज्जा कयम्घो हं // 385 // हणइ किर परकयं जं, तेण कयग्घो इमु त्ति भणउ जणो / अप्पकयं चिय सुकयं, निहणइ एसु त्ति महबुद्धी // 386 // सामग्गी साविक्खो, परोवयारो भविज्ज व न वत्ति। उवयरियं मन्नताण, हुज्ज का नाम धणंहाणी // 387 // अवणियं सीसाओ, तिणमुवयारंति मन्नइ कयन्नु / पिच्छह पुरिस-विसेसं, इयरो कोडि पि पम्हुसइ // 388 // उवयारिणं निगूहइ, नीयजणो रिद्धि-पयरि-संपत्तो / उत्तमजणो पुण ताम, विसेसओ तं पयासेइ // 389 // अन्नह कहमरिहंता, तित्थयरसिरि अणुत्तरं पत्ता। उवयारिस्स कयन्नू, तित्थस्स नमु त्ति जपंति // 390 // थेवं पि हु उवयारं, मन्नंति कयन्नुणो अइमहग्घं / ' जह स्ने दिनखीरा-मलस्स सबरस्स नरनाहो , // 391 // 198