________________ // 332 // // 333 // // 334 // // 335 // // 336 // // 337 // न य तयरि-जणवएसुं, बहुलाभेसु वि गमागमं कुणइ / संघडइ न पडिभंडं, तद्देसोवणय-वणियाणं लद्धं पहु-बहुमाणं, अप्पाणं चिय न मन्नइ पहुं ति। निव-तेय-तरलिओ, नायराण नायरइ पडिकूलं सत्तूप्पउत्त-गूढाभिमरचरेहिं बहुं पि वेलविओ। चिंतइ दिन-दुहोहं, मणसा वि न सामिणो दोहं कह हीरइ तस्स जीयं, जीवंते जम्मि जियइ जियलोओ। जं चउसयासमेसुं, गुरुंति मन्नंति दंसणिणो' निग्गंथा वि हु मुणिणो, छत्तच्छाया जस्स निवसंता। उवसंत-चित्ततावा, पावाण कुणंति निग्गहणं तम्हा रायविरुद्धं, विद्धंसिय-धम्म-कम्मसंबंध / न कयाइ कुसलबुद्धी, बुद्धीइ वि संपहारिति लोउ जणु त्ति वुच्चइ, पवाहरूवेण सासयसरूवो। तस्सायार-विरुद्धं, लोय-विरुद्धं तु विनेयं वज्जेइ तं पि कुसलो, अ-सिलोगकरं सया सयायारो। सारो इमो वि धम्मस्स, जेण जिणसासणे भणिओ लोयायारविरुद्धं, कुणमाणो लहु लहुत्तणं लहइ / लहुयत्तणं च पत्तो, तिणं व न नरो वि कज्जकरो कह लहउ न बहुमाणं, लोओ लोउत्तरा नरा जत्तो / होऊण तिहुयणं पि हु, दुह-जल-निलयाउ तारिंसु तिन्नि वि सया तिसट्ठा, पासंडीणं सट्ठाण परितुट्ठी / जं उवजीवंति सया, कहं स लोओ लहु होउ का वा परेसि गणणा, मुणिणो परिचत्त-सव्व-संगा वि / देहस्स संजमस्स य, रक्खट्ठा जमणुवत्तंति 194 // 338 // // 339 / / // 340 // // 341 // // 342 // // 343 //