________________ तम्हा बहुमंतव्वो, लोओ कुसलेहिं नावमंतव्यो। तस्स य विरुद्धमेयं, पुव्वायरिएहिं निद्दिटुं // 344 // सव्वस्स चेव निंदा, विसेसओ तह य गुणसमिद्धाणं / उजुधम्मकरणहसणं, रीढा जणपूयणिज्जाणं // 345 // साहु-वसणम्मि तोसो, सइ सामत्थम्मि अपडियारो य। एमाइयाइं इत्थं, लोग-विरुद्धाई णेयाई // 346 // बहुजण-विरुद्ध-संगो, देसादायार-लंघणं चेव / उव्वणभोउ य तहा, दाणाइ य विपयडमन्नेउ // 347 // एयाइ परिहरंतो, सव्वस्स जणस्स वल्लहो होइ / जणवल्लहत्तणं पुण, नरस्स सम्मत्ततरुबीयं // 348 // देसविरुद्धाईणि उ, इमाई मुच्चंति धम्मरक्खट्ठा। . तम्हा धम्मविरुद्धं, परेण जत्तेण मुत्तव्वं // 349 // घरइ पडतं जो दुग्गईइ, दुक्खत्त-सत्त संघायं। . सो इह वुच्चइ धम्मो, तस्स विरुद्धं तु पुण इणमो आसवदारए पवित्ती, अणायरो धम्मकम्मनिम्माणे / मुणिजण-विदेसित्तं, चेइय-दव्वस्स परिभोगो // 351 // जिणसासणोवहासो, लिंगिणिजणसंगसाहसिक्कं च / कोलायरिय-परूवियधम्मरुई विरइवच्चासो // 352 // गुरु-सामि-धम्मि-सुहि-सयण-जुवइ-वीसत्थ-वंचणारंभा / पररिद्धिमच्छरित्तं, अच्चुब्भड-लोभसंखोभो // 353 // कय-विक्कयाणि निच्चं, कुल-जण-वय-अणुचियाण वत्थूण / मणसो यं निद्दयत्तं, खरकम्मे वावडत्तं च // 354 // एयाइ धम्मतरुमूल-जलिरजालावलीसमाणाई / मुत्तव्वाइं नरेहिं, सासयसिवसुक्खकंखीहि // 355 // . 105 // 350