________________ रंभइ रयणिपयारं, कुसीलपासंडिसंगमवणेइ। . गिहकिच्चेसु निओयइ, न विओयइ अप्पणा सद्धिं // 284 // : अवमाणं न पयंसइ, खलिए सिक्खेइ कुवियमणुणेइ। धणहाणि-वुड्डि-घरमंत-वइयरं पयडइ न तीसे // 285 // सुकुलुग्गयाहिं परिणय-वयाहिं निच्छम्मधम्मनिरयाहिं।। सयणरमणीहिं पीई, पाउणइ समाणधम्माहि // 286 / / रोगाइसु नोविक्खइ, सुसहाओ होइ धम्मकज्जेसु / एमाइ पणइणिगयं, उचियं पाएण पुरिसस्स' // 287 // पुत्तं पइ पुण उचियं, पिउणो लालेइ बालभावम्मि। उम्मीलियबुद्धिगुणं, कलासु कुसलं कुणइ कमसो // 288 // गुरु-देव-धम्म-सुहि-सयण परिचयं कारवेइ निच्चं पि। उत्तमलोएहिं समं, मित्तीभावं रयावेइ . // 289 // गिण्हावेइ य पाणि, समाण-कुल-जम्म-रूव-कन्नाणं / गिहभारम्मि निजुंजइ, पहुत्तणं वियरइ कमेण // 290 // पच्चक्खं न य संसइ, वसणे वहयाण कहइ दुक्खत्थं / आयं वयमवसेसं च, सोहए सयमिमाहितो // 291 // दंसेइ नरिंदसभं, देसंतरभावपयडणं कुणइ। इच्चाइ अवच्चगयं, उचियं पिउणो मुणेयव्वं // 292 // सयणाण समुचियमिणं, जं ते नियगेहवुड्ढिकज्जेसु / सम्माणिज्ज सया वि हु, करिज्ज हाणीसु वि समीवे // 293 // सयमवि तेसिं वसणूसवेसु होयव्वमंतियम्मि सया। खीणविहवाण, रोगाउराण कायव्वमुद्धरणं // 294 // खाइज्ज पिट्ठिमंसं, न तेसि कुज्जा न सुक्ककलहं च। तदमित्तेहिं मित्ति, न करिज्ज करिज्ज मित्तेहि // 295 // 190