________________ पायाला-नलजालापलित्तगत्ताणि किवणदविणाणि / खणमूससंति पावंति, जइ करं परुवयारीणं. // 236 // नवनिहिणो वि निहिणा, सुवन्नपुरिसो वि नूण काउरिसो। . कणयगिरी वि अणू विव, उवयारि मणोरहस्स पुरो // 237 // उवयारखणे समुवट्ठियम्मि, उवयारिणो तणुधणस्स। . जं होइ मणे दुक्खं, मुणइ परंपारगो जंइ तं // 238 // विहवाईहिं परेसिं, जं उवयरणं परोवयारो सो। अनिउणवयणमिणं, नणु एसो अत्तोवयारो जं. // 239 // उवयारो पुण दुविहो, दव्वे भावे य दिव्वनाणीहिं / सयमेव समायरिउं, तह अनेसि पि उवइट्ठो। // 240 // मुणिऊण विरइसमयं, जगपईवाण जिणवरिंदाणं / भत्तिब्भरभरियहियओ, सोहम्मवई सुरवरिंदो // 241 // जिभगदेवेहिं तो, समंतओ नट्ठकेउसेऊहिं / भूगोलनिलीहणे, असामिएहिं निहाणेहिं // 242 // पूरइ कोसागारं, जिणाण जगबंधवाणमणवरयं / संवच्छरियं करुणाइ, तो पयर्टेति ते दाणं // 243 // अकलियपत्ता-पत्तं, अविभावियसगुण-निग्गुणविभागं / ' अगणियमित्ता-मित्तं, दिज्जइ जं मग्गियं दाणं एवं जिणा घणा इव, विउलदया भूरिकणयधाराहि / निव्वाविति सुदुस्सह-दोगच्च दव्वद्दियं लोयं // 245 // ता जइ निबद्धतित्थयर-नामगोया अवस्ससिवगामी / एवं दव्वुवयारं, करिंसु किर भुवणगुरुणो वि // 246 // सइ सामग्गिविसेसे, तम्हा सेसेहि तत्थ सविसेसं / . सव्वायरेण संदिद्ध-सिद्धिगमणेहिं जइयव्वं .. // 247 // // 244 // 18