________________ // 224 // // 225 / / // 226 // / / 227 // // 228 // // 229 // "मूलं संसारस्स उ, हुंति कसाया अणंतपत्तस्स / विणओ ठाणपउत्तो, दुक्खविमुक्खस्स मुक्खस्स" पयडिज्जइ कुलममलं, कलाकलावो वि पयरिसं लहइ / वित्थरइ साहुवाओ, विणयगुणे विप्फुरंतम्मि हुंति गुरु सुपसन्ना, विनाणमणुत्तरं उवइसंति / दुदंता वि हु पहुणो, कुणंति वयणं विणीयस्स निद्धे वि बंधवे उब्वियंति, नयणाई दुव्विणियम्मि / सुविणीए उण दिवे, परे वि परमं पमयमिति चिंतामणी मणीण व, अमरतरूणं च पारियाउव्व / मेरु व्व पव्वयाणं, गुणाण सारो परं विणओ विणएण पुच्छणिज्जो, जायइ वीसंभभायणं च नरो / जह सेणियस्स स्नो, पए पए पियसुओ अभओ - जणमणनयणाणंद, जणेइ एमेव ताव सुविणिओ। जइ पुण परोवयारी, वि हुज्ज़ ता किं न पज्जत्तं ? तम्हा सइ सामत्थे, जइज्ज पुरिसो.परोवयारम्मि। पसरइ कित्ती जत्तो, मयंककरकोमला भुवणे के के जम्मण-जर-मरण-सलिलपडलाउले भवसमुद्दे / जलबुब्बुयव्व नियकम्म-प्रवणपहया नरा न गया? नियजढरपिढरभरणिक्कमित्तजत्ताण ताण नाम पि / को नाम मुणइ मणुयाहमाण अपरोवयारीणं ? जे ऊण परोवयारं, करिंसु इह केइ पुरिससर्दूला। दिसिवलयेसु विसप्पइ, तेसिं जसपडहनिग्घोसो जेसि परोवयरणे, न फुरइ बुद्धी वि कीवपयईणं / उब्वियइ उव्वहंती, तेसिं भारं धुवं धरणी // 230 // // 231 // // 232 // / / 233 // // 234 // // 235 // 185