________________ वयणं व नयणहीणं, लायन्नविवज्जियं तारुन्न / न विणा भावं सोहइ, एसो दाणाइओ धम्मो // 200 // जं कट्ठमणुट्ठाणं, दाणं सीलं तवो विणा भावं / तमकामनिज्जराए, निव्वइ सव्वं पसूणं व // 201 // जं जम्मकोडिघडिएण, तिव्वं तवसा न खिज्जए कम्मं / ओयह सुहभावपसरो, खवेइ तं पि हु खणद्धेण // 202 // एगे संकप्पतरंगिएहिं, विसएहि वेलविज्जंता / सुमिणे वि अदिट्ठसुहा, विहुरा अहरं गई जंति // 203 // अन्ने भुजंता वि हु, विउले माणुस्सए महाभोगे / तं किं पि सुद्धभावं, धरंति मुच्चंति लहु जेण // 204 // तम्हा न बज्झचिट्ठा, असुहा व सुहा व बलवई इत्थ / मणवित्तीइ गुरुत्तं, समयविऊ दिति जं बिति || 205 // वावाराणं गरुओ, मणवावारो जिणेहिं पन्नत्तो। . जो नेइ सत्तमीए, अहवा मुत्ति पराणेइ | चिरपरिचिएण न कयं, तवेण तं बाहुबलिमहामुणिणो। जं सुद्धभावणाए, विहियं तक्कालमिलियाए // 207 // सुहभाव-मणुपविट्ठो, दोसो वि कया वि कुणइ गुणकजं / जाओ किं न पमाओ, मिगावईए सिवोवाओ // 208 // वियलियकुलाभिमाणो, विमुक्कमेरो वि केवलं जुत्तो।। पुत्तो स इलापुत्तो, तस्स नमो सुद्धभावस्स // 209 // मत्ताहियाउ नूणं, मत्ताहीणो पराभवं लहइ / पिच्छह कणगवईए, भावेण भवो पराहूओ // 210 // एसो चउप्पयारो, धम्मो दाणाइओ भुवणसारो / आराहिओ निरंभइ, दाराणि चउण्ह वि गईणं // 211 // 183 // 206 //