________________ // 176 // // 177 // // 178 // // 179 // // 180 // // 181 // पीण-पओहर-चच्चर-तिवलीतिपहम्मि जइ मयल्लीण / पुरिसो मणं पि खलिओ, ता छलिओ मयणभूएण गंथत्थ-वियारे पत्थुयम्मि, एगे पसू परे विउसा / मार-वियारम्मि पुणो, उभए वि पसुव्व दीसंति विहरम्मि हुंति सरणं, जं सबला एस विस्सुओ मग्गो। वम्मह-विहुरम्मि पुणो, अबला सरणंति अच्छरियं कयकेसवेसपरियर-परिचत्ता निण्हवंति अप्पाणं / दंसणिणो हा ! तह वि हु, वम्महवाहेण हम्मंति अमुणिय-क्सिय-विवागा, छागा इव ववहरंतु किमजुत्तं / अहह ! गुरुत्तं कम्माण, मुणियतत्ता वि मुझंति धन्नाण मये रमणी-अमलियसीलंगरागसुभगम्मि / विलसइ चारित्तसिरी, परिचत्तसंवत्तिसंतावा / दुद्धर-मयरद्धयभिल्ल-भल्लिसल्लियमणे जणे जाण / भिन्नं न सीलकवयं, अवयंसा ति च्चिय जयस्स सच्चं पहीणरागा, भयवंतो आसि इत्थ तित्थयरा / तयणुगुणो तेसि, जओ पयासए संघसंताणो सुव्वंति थूलभद्दो, रायमई तह सुदंसणो सिट्ठी / सुस्साविया सुभद्दा, तम्मि इमे सीलदिटुंता सीलं च पणीयाहार-सुहयदेहस्स दुल्लहं पायं / तां देहसोहणकए, जहसत्तीए तवं तवसु . तावेइ जेण कम्म, तविज्जए जं च सिवसुहत्थीहि / तेणिह तवं ति भन्नइ, तं दुविहं बारसविहं च बाहिर-अब्भिंतरभेयओ, दुहा तेय दो वि पत्तेयं / छब्भेयाइय एवं, बारसभेयं सुएभिहियं - 181 // 182 // // 183 // // 184 // // 185 // // 186 // // 187 //