________________ भणियं खित्तचउक्कं, पंचमखित्तं जिणागमं भणिमो। केवलिदिढे भावे, जो पयडइ दूसमाए वि // 140 // उम्मीलियकेवलनाणमुणियतिहुअणगयत्थसत्थेहिं / तिवईदारेण जिणेहिं अत्थओ जं किलक्खायं // 141 // भुवणब्भुयबुद्धिधरेहि, गणहरिंदेहिं जं च गहिऊण। . सुत्तत्तेण निबद्धं जिणपवयणबुड्ढिकामेहं। // 142 // अह तेसि वयणपंकयमयरंदसमं नमंतसीसेहिं / चउदसपुव्वधरेहि, जमहियमहीणमेहेहि // .143 // तत्तो दसपुव्वधराइएहिं कमहियमाणपन्नेहिं / . गीयत्थगणहरेहिं, जं पावियमित्तियं समयं // 144 // तस्स सुयस्स य भगवओ, तब्विह मेहाविपत्तविरहाओ। पाएण दूसमाए, आहारो पुत्थया चेव ' // 145 // तम्हा जिणिंदसमयं, भत्तीए पुत्थएसु लेहेइ। अव्वुच्छित्तिनिमित्तं, सत्ताणमणुग्गहत्थं च // 146 // जिणमयपयमित्तं पि हु, पीयं पीऊसमिव जओ हरइ / मिच्छाविसमिहनायं, रोहिणीय-चिलाइपुत्ताई // 147 // तम्हा सइसामत्थे, वित्थारइ पुत्थएहिं जिणसमयं / वायावेइ य विहिणा मेहागुणसंगयमुणीहिं // 148 // ससमय-परसमयविऊ, ते वि तयत्थावभासणसमत्था। परतित्थीणं पि तओ, पमाणसत्थाणि निउणाणि // 149 // वागरण-छंद-लंकार-कव्व-नाडय-कहाइ लेहेइ / जं सव्वं सम्मसुयं, सम्मदिट्ठीहिं परिगहियं // 150 // जे केइ जप्पवत्तिय, पुत्थयगं सत्थसवणओ जीवा। पावाइं परिहरंती, स होइ तप्पुनफलभागी - // 151 // 108