________________ // 104 // // 105 // // 106 // // 107 // // 108 // // 109 // तेणावि हु तं काले विणएणं बहुमईइ तवसा य / अणिगृहणेण सुंत्तत्थतदुभएणं घित्तव्वं इत्थ य सुत्तत्थाणं, विहिगहणे अज्जरक्खियायरिओ। तस्सेव य विहिदाणे, दितो वइरसामि गुरू एवमणगारिगोयरमगारिविसयं तु नाणदाणमिणं / जं तेसिं पढंताणं, संपाडइ पुत्थयाईयं विरएइ उवटुंभ, आहारेणं चउविहेणा वि। . तह वत्थपत्तओसहसिज्जाईहिं विसुद्धेहिं नाणड्ढयाण कुणइ य, बहुमाणं तह तयंतिए सम्मं / ताणि अहिज्जइ गंथाणि, जेसिमो होइ अहिगारी अट्ठप्पवयणमायाणुगयं सुत्तं जहन्नओ पढइ। . उक्कोसेणं छज्जीवणिं, तु जइवयकउज्जोगो पिंडेसणअज्झयणं, सुणइ परं अत्थओ गुरुसयासे / सेससुयस्स न सड्ढो, अक्खंडरूवस्स अहिगारी न य तत्तियमित्तेणं, उत्ताणो कुणइ देसणाइयं / गुरु निरविक्खो होउं, जम्हा सुत्ते निसिद्धमिणं किं इत्तो कट्ठयरं, सम्म अणहिगयसमयसब्भावो। अन्नं कुदेसणाए, कट्ठयरगम्मि पाडेइ भवसयसहस्समहणो, विबोहओ भवियपुंडरीयाणं / धम्मो जिणपन्नत्तो, पकप्पजइणा कहेयव्वो जं पुण पढइ सुणेई, जणस्स धम्मं कहेइ इच्चाई। तं पच्छागडविसयं, तेण वि जइ तं पुराहीयं तम्हा मणसा वि सुयस्स, सुयहराणं कुणइ नावन्नं / जं पज्जंतदुरंता, मासतुसस्सेव सा होइ // 110 // // 111 // // 112 // // 113 // // 114 // // 115 // 105