________________ // 80 // // 81 // // 82 // // 83 // // 84 // // 85 // भेया दुत्तियचउरो, अट्ठावीसा य अट्ठसट्ठसयं / तिन्निसया छत्तीसा, मइनाणे हुंति नायव्वा सुव्वइ य निसामिज्जइ, पारंपज्जेण जेण तेण सुयं / तं पि दुभ्रेयं नेयं, अंगपविटुं तदियरं च पढमं जिणिदचंदेहि, अत्थओ सुत्तओ गणहरेहिं / जं पन्नत्तं सक्खा, तं आयाराइ इह नेयं बीयं चउदसदसपुव्व-धारएहिं तहा महेसीहि / संघयणकालबलबुद्धिहाणि-मागामिपुरिसाणं मुणिऊण परमकरुणाइ, गहिरसुत्तत्थसारमादाय / जं विरइयमिह सामाइयाइ तं अंगबज्झं तु एयं दुविहं पि तिकाल-गोयरं भन्नए सुयन्नाणं। . केवलनाणीहि पि हु, परोवएसाय भयणिज्जं अक्खरसन्निप्पमुहा,सेसा भेया इमम्मि भेयदुगे। पविसंति निन्नयाणं, जहा पाहा जलनिहिम्मि अवही किल मज्जाया, सा विज्जइ जम्मि तं अवहिनाणं / भवपच्चइयं च खओवसमसमुत्थं च तं पि दुहा भवपच्चइयं सुरनारयाण, सिक्खातवाइविरहे वि। आजम्मं चिय जाइ, विहगाणं गयणगमणं व कम्माण खओवसमेण, मणुयतिरियाण जायए जं च / तं छब्भेयं नेयं, एवं सुत्ताणुसारेण : अणुगामिमणणुगामि च, हीयमाणं च वड्ढमाणं च / अणवट्ठियं अवट्ठिय-मियं छब्भेयं भवइ एयं आमरणं तं च भवे, भवंतरं वा वि संकमइ एयं / विसओ पुण दुविहस्स वि, इमस्स जे रूविणो दव्वा // 86 // // 87 // // 88 // // 89 // // 90 // // 91 // .. 173