________________ प्रौढैः स्नात्रमहोत्सवैः स्तुतिगणैर्गीतैश्च वाद्यादिभि लोद्घट्टनकैरलङ्कृतिगणैश्चैत्यध्वजारोपणैः। पूजां यो जिननायकस्य कुरुतेऽत्राऽमुत्र चाप्नोत्यसौ, द्वैधद्वेषिजयश्रिया सुखमयीः सर्वाः पराः सम्पदः // 3 / 270 // रङ्गत्तरङ्गनिकरः सुकृतोपदेशरत्नाकरः सुपरिकल्पितषोडशाउंशः / सद्बोधरत्नविभवाभिनवप्रकाशाद् विश्वत्रयीमुपकरोतु लसज्जयश्री: // 1 // // 2 // // 3 // पू.आ.श्रीप्रभानन्दसूरिविरचिता ॥हिओवएसमाला // नमिरसुरासुरसिरल्हसिर-सरसमंदारकुसुमरेणूहि / निम्मज्जियपयनहदप्पणे, जिणे पणमिमो सिरसा नंदंतु ते जिणिंदा, जे इक्कनिगोयजंतुमित्तं पि / मुक्खमपाउणिय अणंत-जंतुसिवदायगा जाया जयइ जियकम्मसत्थो, वरकेवलनाणपयडियपयत्थो। चंदु व्व देसणामय-निव्ववियजणो जिणो वीरो चउगइगत्तावडियं, समसमयं सव्वभव्वजणनिवहं। . उद्धरिउं विव पत्तो, चउव्विहत्तं जयइ संघो पणमित्तु पायपउमे, गोयमाईण गणहरिंदाणं / आसन्नुवयारिणं, नियगुरूणं विसेसेणं जिणसमयसागराओ, समुद्धरेऊण भव्वसत्ताणं / अजरामरत्तहेडं, हिओवएसामयं देमि पुणरुत्तजम्ममरणे, अणाइनिहणे भवम्मि जीवाणं। . दुसमदुसमाइ जिणदंसणं व, मणुयत्तणं दुलहं // 4 // // 5 // . // 6 // | // 7 // 166