________________ // 84 // जो जस्स वट्टइ हियए सो तं ठावेइ सुंदरसहावं।। वग्घी छावं जणणी, भदं सोमं च मन्नेइ . // 84 // मणिकणगरयणधणपूरियम्मि भवणम्मि सालिभद्दो वि। . अन्नो किर मज्झ वि सामिओ त्ति जाओ विगयकामो // 85 / / न करंति जे तवसंजमं च तुल्लपाणिपायाणं / पुरिसा समपुरिसाणं, अवस्स पेसत्तणमुर्विति : // 86 // सुंदरसुकुमालसुहोइएण विविहेहिं तवविसेसेहिं। तह सोसविओ अप्पा जह न वि नाओ सभवणे वि. // 87 // दुक्करमुद्धोसकरं, अवंतिसुकुमालमहरिसीचरियं / अप्पा वि नाम तह तज्जइ त्ति अच्छेरयं एअं // 88 // उच्छूढसरीरघरा, अन्नो जीवो सरीरमन्नं ति। / धम्मस्स कारणे सुविहिया सरीरं पिछडुति // 89 // एगदिवसं पि जीवो, पव्वज्जमुवागओ अनन्नमणो / जइ वि न पावइ मुक्खं अवस्स वेमाणिओ होइ // 90 // सीसावेढेण सिरम्मि वेढिए निग्गयाणि अच्छीणि / मेयज्जस्स भगवओ, न य सो मणसा वि परिकुविओ // 91 / / जो चंदणेण बाहुं, आलिंपइ वासिणा वि तच्छेइ / संथुणइ जो अ निंदइ महरिसिणो तत्थ समभावा // 92 // सिंहगिरिसुसीसाणं, भदं गुरुवयणसद्दहंताणं / वयरो किर दाही वायण त्ति न विकोविअं वयणं // 93 // मिण गोणसंगुलीहि, गणेहि वा दंतचक्कलाइं से। इच्छंति भाणिऊणं, (भाणियव्वं) कज्जं तु त एव जाणंति // 94 // कारणविऊ कयाई, सेयं कायं वयंति आयरिया। . तं तह सद्दहिअव्वं भविअव्वं कारणेण तहिं . // 95 //