________________ शिदी. विसयकसायविरत्तो रत्तो जमनियमभावणतवेसु। संविग्गो अपमाई जई गिही वा वि सिज्झिज्जा // 3 / 137 // सुदिट्ठिसेवा परमिट्ठिझाणं गीअत्थसज्झायनिसेवणा य। ... कुसीलऽहाछंदविवज्जणा य, पभावणा सासणि मुक्खहेऊ॥ 3138 // ठाणम्मि कुज्जा सुविवेय गेहं धम्मोवयारे निउणं कुंडंबं / गिज्झिज्ज धीमं विसए कसाए सुत्तत्थचारी न सिवाभिकंखी 33139 . दंढसम्मत्तसमिद्धी सुद्धी चित्तस्स करणजयलद्धी / नाणाइधम्मबुद्धी जइ लद्धा ता धुवं सिद्धी // 3 / 140 // जिणसाहुसंघभत्ती पभावणा पवयणे वयरुई.अ। आवस्सएसु जत्तो धम्मो सिवसुहफलो एसो // 3 / 141 // दाणदयातवसीला दीणुद्धरणं सुदेवगुरुपूआ। गेहागयाण उचिअं सव्वेसि सम्मओ धम्मो // 3142 // सत्तसु खित्तेसु धणं मणं सया धम्मतत्तचिंतासु / धम्मुज्जमेसु देहं सव्वावारं सिवं देइ // 33143 // जिणभत्ती गुरुसेवा आवस्सयवयरुई भयं भावा। दसणदढया खित्ते धणवावो दिति सिवसुक्खं // 3144 // जिणभत्ती गुरुपूआ आगमगहणं पभावणा तित्थे। साहम्मिअवच्छल्लं सावयधम्मो सिवं देइ // 3 // 145 // सिवसुहसंपयमइरा लहइ जिओ देवसंघगुरुभत्तो। विसयकसायविरत्तो उवउत्तो सुद्धकिरिआसु // 3 // 146 // जिणगुरुआगमभत्ती उचिआचरणं पभावणा तित्थे। साहम्मिअवच्छल्लं इअ धम्मो इट्ठफलजणगो // 3147 // विगहावसणविरत्तो परोवयारी अ सुद्धववहारी / / सव्वत्थ उचिअकारी पवयणमुज्जोअए सड्ढो / // 33148 // 154