________________ नाऊण भवसरूवं तणुसयणधणेसु विगयरागस्स / सुरसिवसुहाणुरागा न दुच्चरो दुच्चरो धम्मो // 3 / 125 / / आसवमोहकसायाइएहिं चउसु वि गईसु विविहदुहं / पावंति जिआ सुहमवि तवभावसुदाणमाइहिं // 3 / 126 // इहपरलोइयआवयहरणं सिवसीमसयलसुहकरणं / इक्कं तिहुअणसरणं भवतां ता कुणह जिणधम्म // 3 / 127 // सामग्गिअभावे वि हु वसणे वि सुहे वि तह कुसंगे वि। जस्स न हायइ धम्मो निच्छयओ भणसु तं सड्ढं // 3 / 128 // सुपरिच्छिअदेवगुरू विसयकसायासवेहिं भवभीरू / वयआवस्सयधीरो अइरा सिवसुहपयं लहइ // 3 / 129 // विणु सारहिं रहा इव पोओ निज्जामगं न इट्ठफला। नाणकिरिआजुअं तह विणा गुरुं सेविओ धम्मो // 3 // 130 // निसेसगुणाधारं दुरंतसंसारसायरुत्तारं। सिवसुहसच्चंकारं सम्मत्तं भयदुग्गइनिवारं // 3 // 131 // पासंडे पासत्थे कुदेवचरिआणि मिच्छसत्थाणि / जाणिउ लग्गति बुहा मग्गे अबुहा अमग्गम्मि // 3 // 132 // चउविहमिच्छच्चाओ अट्ठविहापूअ तिविहवंदणयं / बारस वय छावस्सय गिहिधम्मो सिवफलो एसो // 3 // 133 // धम्मत्थमत्थस्स नएण अज्जणं पासंडपासत्थकुमित्तवज्जणं / जिणिदसाहम्मिअसाहुपूअणं दक्खत्तमन्नत्थ वि सड्ढमंडणं।। 3 / 134 / / विसएसु जो न मुज्झइ न छलिज्जइ जो कसायभूएहि / जमनिअमरुई जस्स य करट्ठिअं सिवसुहं तस्स // 3 // 135 // . भवदुहभयं न तेसिं जगमित्ताणं विगयममत्ताणं। . जेसि पिआणि किरिआतवसंजमखंतिबंभाणि // 3 / 136 // - 153