________________ // 495 // // 496 // // 497 // // 498 // // 499 // // 500 // नाणस्स केवलीणं धम्मायरियस्स संघसाहूणं / गिण्हतेण अवणं मूढेणं नासिओ अप्पा / सोयंति ते वराया पच्छा समुवठियम्मि मरणम्मि। पावपमायवसेहिं न संचिओ जेहिं जिणधम्मो लवु पि दुलहधम्म सुहेसिणा इह पमाइयं जेण / सो भिन्नपोयसंजत्तिओ व्व भमिही भवसमुद्दे गहियं जेहिं चरितं जलं व तिसिएहिं गिम्हपहिएहि / कयसग्गइपत्थयणा ते मरणंते न सोयंतिः को जाणइ पुणरुत्तं होही कइया वि धम्मसामग्गी ? / रंक व्व धणं कुणह महव्वयाण इण्डिं पि पत्ताणं अलमित्थ वित्थरेणं कुरु धम्मं जण वंछियसुहाई। पावेसि पुराहिवनंदणु व्व धूया व नरवइणो इय भावणाहिं सम्मं णाणी जिणवयणबद्धसल्लक्खो। जलणु व्व पवणसहिओ समूलजालं दहइ कम्मं नाणे आउत्ताणं नाणीणं नाणजोगजुत्ताणं। . को निज्जरं मुणेज्जा चरणम्मि परक्कमंताणं? नाणेणं चिय नज्जइ करणिज्जं तह य वज्जणिज्जं च। नाणी जाणइ काउं कज्जमकजं च वज्जेउं जसकित्तिकरं नाणं गुणसयसंपायगं जए नाणं / आणा वि जिणाणेसा पढमं नाणं तओ चरणं ते पुज्जा जीवलोए सव्वत्थ वि जाण निम्मलं नाणं / पुज्जाण वि पुज्जयरा नाणी य चरित्तजुत्ता य भद्धं बहुस्सुयाणं बहुजणसंदेहपुच्छणिज्जाणं / . उज्जोइयभुवणाणं झीणम्मि वि केवलमयंके / 130 // 501 // // 502 // // 503 // // 504 // // 505 // . // 506 //