________________ // 484 // // 487 // // 488 // भवभमणपरिस्संतो जिणधम्ममहातरुम्मि वीसमिओ। मा जीव ! तम्मि वि तुमं पमायवणहुयवहं देसु // 483 // अणवरयभवमहापहपयट्टपहिएहिं धम्मसंबलयं / जेहिं न गहियं ते पावयंति दीणत्तणं पुरओ जिणधम्मरिद्धिरहिओ रंकु च्चिय नूण चक्कवट्टी वि। तस्स वि जेण न अन्नो सरणं नरए पडतस्स // 485 / / धम्मफलमणुहवंतो वि बुद्धि-जस-रूव-रिद्धिमाईयं / तं पि हु न कुणइ धम्मं अहह कहं सो न मूढप्पा? // 486 // जेणं चिय जिणधम्मेणं गमिओ रंको वि रज्जसंपत्ति / तम्मि वि जस्स अवन्ना सो भन्नइ किं कुलीणु त्ति? // 487 // जिणधम्मसत्थवाहो न सहाओ जाण भवमहास्ने। किह विसयभोलियाणं निव्वुइपुरसंगमो ताणं? // 488 // निययमणोरहपायवफलाई जइ जीव ! वंछसि सुहाई। तो तं चिय परिसिंचसु निच्चं सद्धम्मसलिलेहिं जइ धम्मामयपाणं मुहाए पावेसि साहुमूलम्मि / ता दविणेण किणेउं विसयविसं जीव ! किं पियसि ? // 490 // अलभन्तसुहसमागमचिंतासयदुत्थिओ सयं कीस?। कुण धम्मं जेण सुहं सो च्चिय चितेइ तुह सव्वं // 491 // संपज्जंति सुहाई जइ धम्मविवज्जियाण वि नराणं / ता होज्ज तिहुयणम्मि वि कस्स दुहं ? कस्स व न सोक्खं ? // 492 // जहे कागिणीइ हेउं कोडिं रयणाण हारए कोई। तह तुच्छविसयगिद्धा जीवा हारंति सिद्धिसुहं // 493 // धम्मो न कओ साउं न जेमियं नेय परिहियं सहं / आसाए विनडिएहिं हा दुलहो हारिओ जम्मो // 494 // // 489 // - 129