________________ गुणकारयाई धणियं धिइरज्जु नियंतियाइं तुह जीव / निययाइं इंदियाई वल्लिनिउत्ता तुरंग व्व // 447 // मणवयणकायजोगा सुनियत्ता ते वि गुणंकरा होति / अनिउत्ता उण भंजंति मत्तकरिणो व्व सीलवणं // 448 // जहजह दोसोवरमो जह जह विसएसु होइ वेरग्गं / तह तह विनायव्वं आसनं से य परमपयं // 449 // . एत्थ य विजयनरिंदो चिलायपुत्तो य तक्खणं चेव / संवरियासवदारत्तणम्मि जाणेज्ज दिटुंता , // 450 // कणगावलि रयणावलि मुत्तावलि सीहकीलियप्पमुहो। होइ तवो निज्जरणो चिरसंचियपावकम्माणं // 451 / / जह जह दढप्पइन्नो वेरग्गगओ तवं कुणइ जीवो।। तह तह असुहं कम्मं सिज्जइ सीयं व सूरहयं // 452 // नाणपवणेण सहिओ सीलुज्जलिओ तवोमओ अग्गी / दवहुयवहो व्व संसारविडविमूलाई निद्दहइ . // 453 / / दासोऽहं भिच्चोऽहं पणओऽहं ताण साहुसुहडाणं / तवतिक्खखग्गदंडेण सूडियं जेहिं मोहबलं सयलम्मि जीवभवणे वीइन्ननिच्छिद्द संजम कवाडे। दाउं नाणपईवं तवेण अवणेसु कम्ममलं // 455 // तवहुयवहम्मि खिविऊण जेहिं कणगं व सोहिओ अप्पा / ते अइमुत्तय कुरुदत्तपमुहमुणिणो नमसामि // 456 // . धन्ना कलत्तनियलाई भंजिउं पवरसत्तसंजुत्ता / वारीउ व्व गयवरा घरवासाओ विणिक्खंति // 457 // धन्ना घरचारयबंधणाओ मुक्का चरति निस्संगा। ... जिणदेसियं चरितं सहावसुद्धेण भावेण . // 458 // 126 // 454 //