________________ पावंति जए अजसं उम्मायं अप्पणो गुणब्भंसं / उवहसणिज्जा य जणे होंति अहंकारिणो जीवा // 435 // जहजह वंचइ लोयं माइल्लो कूडबहुपवंचेहिं / तह तह संचिणइ मलं बंधइ भवसायरं घोरं // 436 // लोभेणऽवहरियमणो हारइ कज्जं समायरइ पावं। अइलोभेण विणस्सइ मच्छो व्व जहा गलं गिलिउं // 437 // कोहम्मि सूरविप्पो मयम्मि आहरणमुज्झिय कुमारो। मायाइ वणियदुहिया लोभम्मि य लोभनंदो त्ति // 438 // होंति पमत्तस्स विणासगाणि पंचिंदियाणि पुरिसस्स / उरगा इव उग्गविसा गहिया मंतोसहीहिं विणा // 439 // सोयपमुहाण ताण य दिटुंता पंचिमे जहासंखं / रायसुयसेट्टितणओ गंधमहुप्पिय महिंदा य // 440 // हिंसालियपमुहेहिं आसवदारेहिं कम्ममासवइ / . नाव व्व जलहिमज्झे जलनिवहं विविहछिड्डेहिं // 441 // ललियंग-धणायर-वज्जसार-वणिउत्त-सुंदरप्पमुहा / दिटुंता इत्थं पि हु कमेण विबुहेहिं नायव्वा // 442 // जो सम्मं भूयाइं पेच्छइ भूएसु अप्पभूओ य / कम्ममलेण न लिप्पइ सो संवरियासवदुवारो // 443 // हिंसाइ इंदियाइं कसायजोगा य भुवणवेरीणि / कम्मासक्दाराई रंभसु जइ सिवसुहं महसि. // 444 // निग्गहिएहिं कसाएहिं आसवा मूलओ निरुब्भंति / अहियाहारे मुक्के रोगा इव आउरजणस्स // 445 // रुंभंति ते वि तवपसमज्झाण सन्नाण-चरण-करणेहि। - अइबलिणो वि कसाया कसिणभुयंगव्व मंतेहिं 125 // 446 //